Politics:बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखे जैसे जैसे नजदीक आ रही है चुनाव बेहद ही रोमांचक मोड़ पर आ गया है. विधानसभा का मुकाबला इस बार तरीकोणीय हो चूका है. प्रशांत किशोर की जन सुराज कों कोई नजरअंदाज कों नहीं ही कर सकता उनकी जनसभा में दिखने वाली भीड़ इस बात कि गवाही दें रही है कि जन सुराज कुछ तो करिश्मा दिखाएगी. AIMIM मुखिया ओवैसी का गठबंधन नहीं बन पाया कुछ दिन पहले यह उम्मीद किया जा रहा tha कि प्रशांत किशोर से हाथ मिला सकते है ओवैसी पर ऐसा हुआ नहीं. अब प्रशांत किशोर ओवैसी के लिए खुलकर बोल रहें है. दरअसल प्रशांत किशोर ने कहा कि वे अपने हैदराबाद पर फोकस करें बिहार के सीमांचल पर ध्यान ना दें.

ओवैसी मेरे मित्र है लेकिन आप हैदराबाद संभालिए: प्रशांत
जन सुराज के संस्थापक व राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रशांत किशोर ने समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत के दौरान कहा कि ओवैसी साहब मेरे अच्छे मित्र है. आगे उन्होंने कहा कि उन्हें बिना माँगा एक सुझाव है कि आप हैदराबाद संभालिए. बिहार के सीमांचल में आकर ज्यादा कंफ्यूजन पैदा मत कीजिए. हैदराबाद में अपना किला बचाइए. तेलंगाना के मुसलमानों का आपने भला कर दिया होता तो यही बढ़िया होता. दरअसल प्रशांत किशोर यह जानते है कि बिहार के सीमांचल इलाकों में ओवैसी का मुस्लिम वोटर्स में अच्छी पकड़ है. यह बात 2020 के विधानसभा चुनाव में साबित भी हो चुकी है. ओवैसी के 05 विधायकों ने जीत कर विधानसभा पहुचे थे.

बिहार के मुस्लिम बहुल इलाके में ओवैसी की पकड़ मजबूत
बिहार में कई ऐसे इलाके हैं यहां ओवैसी मजबूत हैं. मुस्लिम बहुल इलाकों में एआईएमआईएम कों झोली भर कर वोट मिलता हैं. बिहार में सीमांचल इलाके जैसे अमौर, बायसी, जोकीहाट, कोचाधामन और बहादुरगंज सीट पर 2022 के विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम ने जीत दर्ज की थी.विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज किये हुए पांच में से चार विधायक आरजेडी में चले गए थे।. सिर्फ बायसी से विधायक अख्तरुल ईमान ही अभी तक बचे हैं.

बिहार के ओवैसी अकेले लड़े चुनाव तो किसे होगा फायदा
बिहार में कई ऐसी विधानसभा की सीट है जहां मुस्लिम आबादी अच्छी खासी है मतलब ओवैसी ऐसे सीटों पर या तो चुनाव जीत जायेंगे या राजद प्रत्याशी कों हरा देंगे. 2020 के विधानसभा चुनाव में ओवैसी एकेले 19 सीट पर लड़कर 05 सिट पर जीत हासिल कर लिए थे बिहार जैसे राज्य में ओवैसी के पार्टी के 05 विधायक जितना सामान्य बात नहीं थी. 2020 में भी ओवैसी ने उपेंद्र कुशवाहा की तब की पार्टी आरएलएसपी, मायावती की बीएसपी, देवेंद्र प्रसाद यादव की एसजेडीडी, ओम प्रकाश राजभर की एसबीएसपी और संजय चौहान की जनवादी पार्टी से गठबंधनक करके तीसरा फ्रंट ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेकुलर फ्रंट तैयार किया था. इस फ्रंट के कुल 06 प्रत्यासीयों ने जीत हासिल की थी एक सीट मायावती ने जीता था.
सीमांचल के मुसलमान2020 वाली गलती नहीं करेंगे:प्रशांत
प्रशांत किशोर ने ओवैसी कों अपना अच्छा मित्र बताते हुए सलाह देते हुए कहा कि बंगाल में चुनाव हो रहा था, तो यहां पर आईएसएफ और ओवैसी साहब के लोग आए थे. लेकिन सारे मुसलमानों ने कहा कि हम को टीएमसी पर भरोसा है। हम लोगों की बीजेपी से लड़ाई है. हम सभी को इन सब चक्कर में नहीं पड़ना है. आईएसएफ और ओवैसी वहां पर कुछ भी नहीं कर पाए.इस बार सीमांचल के मुस्लमान वो गलती नहीं करेंगे जो 2020 में हुई थी. ओवैसी साहब का सम्मान है, बहुत बढ़िया तकरीर करते हैं और पढ़ें लिखे व्यक्ति हैं.लेकिन उनको हैदराबाद में रहने दीजिए. जिनको सीमांचल की रहनुमाई करनी हैं, वो सीमांचल का होना चाहिए. हैदराबाद से आकर सीमांचल में नया नेतृत्व खड़ा करने की कोई भी जरूरत नहीं है.
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