Sunday, December 7, 2025

‘ब्राह्मणों की मुनाफाखोरी’ विवाद: उदित राज ने नवारो का समर्थन किया, कांग्रेस और विपक्ष में मचा सियासी संग्राम

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Hemant Raushan
Hemant Raushan
Delhi-based content writer at The Rajdharma News, with 5+ years of UPSC CSE prep experience. I cover politics, society, and current affairs with a focus on depth, balance, and fact-based journalism.

Peter Navarro: डोनाल्ड ट्रंप के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने एक बार फिर भारत पर निशाना साधते हुए विवाद खड़ा कर दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत के ब्राह्मण वर्ग “भारतीय जनता की कीमत पर मुनाफाखोरी” कर रहे हैं। यह बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा और एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान आया। नवारो ने फॉक्स न्यूज को दिए इंटरव्यू में कहा कि भारत रूस से सस्ता तेल खरीद रहा है और फिर उसे महंगे दामों पर बेचकर फायदा कमा रहा है। उन्होंने इसे साधारण व्यापारिक सौदा न बताकर भारतीय समाज के एक विशेष वर्ग पर आरोप मढ़ा।

नवारो ने कहा, “भारत क्रेमलिन का लॉन्ड्रोमैट बन चुका है। यहां ब्राह्मण भारतीय जनता की कीमत पर मुनाफा कमा रहे हैं।” इस टिप्पणी के बाद भारत में राजनीति गरमा गई और विपक्ष से लेकर सत्ता पक्ष तक अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आईं।

कांग्रेस नेता उदित राज ने दिया नवारो को समर्थन

जहां ज्यादातर नेताओं ने नवारो के बयान की निंदा की, वहीं कांग्रेस नेता उदित राज ने इसे सही ठहराया। उन्होंने कहा कि ब्राह्मणों और ऊंची जाति के कॉर्पोरेट घराने रूस से सस्ता तेल खरीदकर उसका फायदा खुद उठा रहे हैं। उदित राज ने कहा, “मैं नवारो से पूरी तरह सहमत हूं। रूस से सस्ता तेल खरीदकर ऊंची जातियों के कॉर्पोरेट मुनाफा कमा रहे हैं। इसका लाभ आम जनता तक नहीं पहुंचता।”

उन्होंने आगे तर्क दिया कि भारतीय तेल कंपनियों में ऊंची जाति के उद्योगपति हावी हैं और निम्न जातियों को इस क्षेत्र में जगह बनाने में दशकों लग जाएंगे। उदित राज के इस बयान से न केवल भाजपा बल्कि कांग्रेस के भीतर भी विवाद खड़ा हो गया। पार्टी के अन्य नेता इस बयान से दूरी बनाने लगे, जबकि विपक्ष ने कांग्रेस पर जातीय राजनीति करने का आरोप लगाया।

कांग्रेस और अन्य विपक्षी नेताओं की तीखी प्रतिक्रिया

नवारो के “ब्राह्मणों की मुनाफाखोरी विवाद” वाले बयान पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पवन खेड़ा ने नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि अमेरिका जैसे देश से ऐसे “बेसिर-पैर के बयान” की उम्मीद नहीं की जा सकती। पवन खेड़ा ने कहा कि नवारो के शब्द भारत विरोधी नैरेटिव को मजबूत करते हैं और इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। वहीं, शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी ने भी तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “किसी विशेष जाति को निशाना बनाना बेहद शर्मनाक और खतरनाक है। अमेरिका में ‘ब्राह्मण’ शब्द का संदर्भ अलग है, लेकिन ट्रंप प्रशासन ने जानबूझकर इसका इस्तेमाल किया।” तृणमूल कांग्रेस की सांसद सागरिका घोष ने भी नवारो की आलोचना की और कहा कि “ब्राह्मण” शब्द पश्चिमी समाज में अमीर और ताकतवर वर्ग के लिए इस्तेमाल होता है, पर भारत के जातिगत संदर्भ में इसका उपयोग बेहद आपत्तिजनक है।

बीजेपी और सरकार से जुड़े नेताओं का पलटवार

सरकारी हलकों और भाजपा नेताओं ने भी नवारो की टिप्पणी को “जातिवादी और खतरनाक” बताया। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल ने कहा कि नवारो के बयान औपनिवेशिक सोच से प्रेरित हैं। उन्होंने कहा, “यह सीधे-सीधे 19वीं सदी के उपनिवेशवादियों की भाषा है। जेम्स मिल और उनके जैसे पश्चिमी विचारकों ने भी भारत को इसी तरह बांटने की कोशिश की थी।” भाजपा प्रवक्ताओं ने कांग्रेस नेता उदित राज पर भी हमला बोला और कहा कि कांग्रेस विदेशी नैरेटिव को समर्थन देकर देश की छवि को नुकसान पहुंचा रही है। उनका कहना था कि नवारो जैसे बयानों का इस्तेमाल भारत को बदनाम करने के लिए किया जाता है और ऐसे समय में सभी दलों को एकजुट होकर प्रतिक्रिया देनी चाहिए, न कि जातीय राजनीति करनी चाहिए।

भारत-अमेरिका संबंधों पर विवाद का असर

‘ब्राह्मणों की मुनाफाखोरी विवाद’ ऐसे समय में सामने आया है जब भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते की कोशिश चल रही है। अमेरिका पहले ही भारत पर ऊंचे टैरिफ और रूस से तेल खरीदने को लेकर दबाव बना चुका है। नवारो का यह बयान दोनों देशों के बीच तनाव को और गहरा कर सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के विवादास्पद बयान अमेरिका में मौजूद भारत विरोधी लॉबी को ताकत देते हैं। वहीं, भारत के रणनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिका को भारत की ऊर्जा नीति समझनी होगी, क्योंकि भारत अपने राष्ट्रीय हितों के मुताबिक फैसले लेता है। इस बीच, उदित राज के समर्थन वाले बयान ने विवाद को और बढ़ा दिया है। विपक्षी दल इसे राजनीतिक मुद्दा बनाकर पेश कर रहे हैं, जबकि सरकार इसे “विदेशी नैरेटिव” बताकर खारिज कर रही है।

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