Sunday, December 7, 2025

पहलगाम आतंकी हमले पर भारत को जापान का समर्थन, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के खिलाफ सख्त कार्रवाई का एलान

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Hemant Raushan
Hemant Raushan
Delhi-based content writer at The Rajdharma News, with 5+ years of UPSC CSE prep experience. I cover politics, society, and current affairs with a focus on depth, balance, and fact-based journalism.

India Japan Summit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने दो दिवसीय जापान दौरे पर हैं। इस दौरान उन्होंने टोक्यो में भारत-जापान आर्थिक फोरम में हिस्सा लिया और अपने समकक्ष शिगेरू इशिबा से मुलाकात की। मुलाकात के दौरान दोनों देशों ने आर्थिक सहयोग के साथ-साथ सुरक्षा और वैश्विक चुनौतियों पर भी चर्चा की। खास बात यह रही कि जापान ने पहलगाम आतंकी हमला मामले पर भारत का स्पष्ट और खुला समर्थन किया। जापान ने लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद समेत सभी संयुक्त राष्ट्र सूचीबद्ध आतंकी संगठनों के खिलाफ सख्त कदम उठाने का ऐलान किया। इस साझा बयान ने भारत की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को नया अंतरराष्ट्रीय समर्थन दिलाया।

जापान का ऐलान: आतंकी संगठनों पर सख्त कार्रवाई

पीएमओ द्वारा जारी बयान के मुताबिक दोनों प्रधानमंत्रियों ने आतंकियों की सीमा पार आवाजाही और आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने की जरूरत पर जोर दिया। भारत-जापान वार्ता के दौरान 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हमले का भी जिक्र हुआ। इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली थी, जिसे अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा मानती हैं। जापानी प्रधानमंत्री ने इस घटना पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि “ऐसे अपराधियों और उनके मददगारों को तुरंत न्याय के कठघरे में लाया जाना चाहिए।” दोनों देशों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 29 जुलाई की उस रिपोर्ट का भी उल्लेख किया, जिसमें स्पष्ट रूप से TRF का नाम दर्ज था और उसकी आतंकी गतिविधियों का जिक्र किया गया था। बैठक में सहमति बनी कि वैश्विक स्तर पर आतंकियों की फंडिंग चैनल और उनकी लॉजिस्टिक सपोर्ट सिस्टम को खत्म करना ही आतंकवाद पर लगाम लगाने का एकमात्र रास्ता है।

भारत-जापान का साझा संदेश: सीमा पार आतंकवाद बर्दाश्त नहीं

भारत और जापान ने साफ किया कि अब आतंकियों के सुरक्षित ठिकानों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। दोनों नेताओं ने अंतरराष्ट्रीय अपराध और आतंकवादी नेटवर्क के बीच गठजोड़ तोड़ने की अपील की। यह भी कहा गया कि आतंकवाद के लिए इस्तेमाल होने वाले फंडिंग चैनल पूरी तरह बंद किए जाने चाहिए। पीएम मोदी ने साझा बयान में बताया कि “हमने आतंकवाद की हर गतिविधि के खिलाफ संयुक्त कार्रवाई का संकल्प लिया है।” इससे पहले भी भारत लगातार पाकिस्तान समर्थित संगठनों पर अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई की मांग उठाता रहा है। जापान का यह कड़ा रुख भारत की उस मांग को और मजबूत करता है।

म्यांमार और यूक्रेन पर भी बनी सहमति

मुलाकात के दौरान केवल पहलगाम आतंकी हमला ही चर्चा का मुद्दा नहीं रहा। दोनों देशों ने म्यांमार की स्थिति और लोकतंत्र बहाली पर भी गंभीर चिंता जताई। भारत और जापान ने सभी पक्षों से हिंसा रोकने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया बहाल करने की अपील की। वहीं, यूक्रेन संकट को लेकर भी दोनों देशों ने न्यायसंगत और स्थायी शांति का समर्थन किया। पीएम मोदी और पीएम इशिबा ने कहा कि युद्ध को रोकने और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी देशों को एक साथ काम करना होगा। गाजा में बिगड़ती मानवीय स्थिति पर भी दोनों नेताओं ने चिंता जताई और तत्काल युद्धविराम पर जोर दिया।

आतंकवाद के खिलाफ भारत-जापान की एकजुटता

जापान का यह रुख भारत के लिए अहम है क्योंकि यह सिर्फ एक दोस्ताना बयान नहीं बल्कि ठोस कदम उठाने का संकेत है। आतंकवाद के खिलाफ जापान की सख्ती दिखाती है कि वैश्विक समुदाय अब पाकिस्तान प्रायोजित संगठनों के खिलाफ सहमत हो रहा है। पीएम मोदी ने कहा कि “भारत और जापान का यह संकल्प केवल एशिया ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए शांति और स्थिरता का संदेश है।” इससे साफ है कि भारत की कूटनीति ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक और मजबूत साथी हासिल कर लिया है। आने वाले समय में इस साझेदारी से अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की स्थिति और मजबूत होगी। इस तरह यह मुलाकात केवल द्विपक्षीय रिश्तों तक सीमित नहीं रही, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत और जापान की साझा जिम्मेदारी और दृष्टिकोण को भी मजबूत करती दिखी।

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