Sunday, August 10, 2025

Yogi Adityanath ने बायोपिक फिल्म “अजेय” को सेंसर बोर्ड ने नहीं दी मंजूरी! जारी किए नए निर्देश

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Yogi Adityanath:बॉम्बे हाई कोर्ट ने हाल ही में सेंसर बोर्ड को फिल्म ” अजेय – द अनटोल्ड स्टोरी आफ ए योगी ” के संबंध में नया निर्देश जारी किया है और सेसंर बोर्ड ने इस फिल्म को सर्टिफिकेट देने से इंकार कर दिया है वहीं इसके पीछे जो कारण सेंसर बोर्ड ने दिए हैं, उससे हाई कोर्ट संतुष्ट नज़र नहीं आया. यह फिल्म उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जिंदगी पर आधारित है. अब सेंसर बोर्ड के फिल्म प्रमाणीकरण से इंकार करने के बाद फिल्म निर्माताओं ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

Yogi Adityanath film (photo credit -google)

सेंसर ने खारिज की याचिका

गुरुवार को उत्तर प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बायोपिक फिल्म ” अजेय” को लेकर एक बड़ी ख़बर सामने आई जिसमें बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस फिल्म को लेकर सेंसर बोर्ड से सवाल पूछा जिसमें यह सवाल शामिल था कि एक फिल्म को मंजूरी देने के लिए किसी अथारिटी से एनओसी यानी नान आब्जेक्शन सिर्टिफिकेट लाने पर जोर दिया. पीटीआई के अनुसार जज रेवती मोहिते डेरे और नीला गोखले को केस की सुनवाई के दौरान कहा गया कि ” अजेय: द अनटोल्ड स्टोरी आफ द योगी” के मेकर्स ने फिल्म सर्टिफिकेट के लिए याचिका डाली थी , जिसे सेंसर बोर्ड ने खारिज कर दिया है. फिल्म ” अजेय योगी आदित्यनाथ” के जिंदगी पर लिखी गई है और यह एक किताब पर आधारित है.

Yogi Adityanath film (photo credit -google)

फिल्म निर्माताओं ने क्या कहा?

फिल्म मेकर्स के वकील असीम नफडे , सत्या आनंद और निखिल अराधे ने कहा कि फिल्म सर्टिफिकेट की याचिका को इसलिए खारिज किया गया क्योंकि उनके पास मुख्यमंत्री योगी के अधिकारी ( सीएमओ) का एनओसी नहीं है. निर्माताओं का कहना है कि सेंसर बोर्ड ने फिल्म को सर्टिफिकेट देने से मना कर. सेंसर बोर्ड का दावा है कि फिल्म में कुछ दृश्य और संवाद आपत्तिजनक है जिसे हटाने की आवश्यकता है.

Yogi Adityanath film (photo credit -google)

क्या है पूरा मामला?

सारे पक्ष सुनने के बाद कोर्ट ने सवाल किया कि सेंसर बोर्ड एक फिल्म को सर्टिफिकेट देने के लिए किसी अथारिटी के एनओसी पर क्यों जोर दिया जा रहा है. कोर्ट ने सेंसर बोर्ड से कहा कि वह फिल्म के मेकर्स को बताएं कि आपत्तिजनक सीन्स, डायलॉग क्या है? जिससे फिल्म में बदलाव किया जा सकता है और इस पर सेंसर बोर्ड की तरह पेश हुए सीनियर एडवोकेट अभय खाडेपारकर ने कहा कि फिल्म देखने के बाद सेंसर सर्टिफिकेट का आवेदन खारिज कर दिया गया था और फिल्म के मेकर्स सेंसर बोर्ड की रिव्यू कमिट के सामने इस फैसले के खिलाफ अपील दायर कर सकते हैं.

वहीं खांडेपारकर ने तर्क दिया कि यह फिल्म एक बायोपिक थी जिसका नाम एक अथारिटी के नाम पर रखा गया था और फिल्म में भाषण भी वही थे. ऐसे में फिल्म के मेकर्स दावा कैसे कर सकते हैं यह एक काल्पनिक कहानी है और जब कोर्ट ने कहा कि यह फिल्म तो पांच साल पहले पब्लिक एक किताब पर है तो अभय खंडेपारकर ने तर्क दिया कि किताब और फ़िल्म का असल अलग-अलग होता है.

Yogi Adityanath film (photo credit -google)

1 अगस्त को रिलीज होने वाली थी फिल्म

आखिर में हाई कोर्ट ने फिल्म मेकर्स से सेंसर की रिव्यू कमिटी को संपर्क करने को कहा और यह कमिटी 14 अगस्त तक सभी कारणों के साथ फिल्म को लेकर फैसला सुनाएगी वहीं फिल्म “अजेय” 1 अगस्त को सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली थी और यह फिल्म ” द मान्क हू बिकेम चीफ मिनिस्टर” नाम किताब से प्रेरित है और यह किताब कथित तौर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जीवन पर आधारित है.

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