Waqf Bill: केंद्र सरकार ने बुधवार 2 अप्रैल यानी आज संसद में वक्फ संशोधन विधेयक पेश करने की तैयारी में है. सरकार का दावा है कि इस विधेयक के माध्यम से वक्फ से जुड़ी संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार लाया जाएगा. हालांकि, देश भर में विधेयक के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए है. विपक्षी दलों के नेताओं ने स्पष्ट किया है कि यह विधेयक मुस्लिम समुदाय की शक्ति को कम करेगा और वक्फ पर सरकारी नियंत्रण बढ़ाएगा.

क्या होता है Waqf?
वक्फ (Waqf) की समझने की बात करें तो यह शब्द अरबी भाषा के वकुफा से लिया गया है, जिसका अर्थ है रुकना, रोकना, या प्रतिबंधित करना.”औकाफ प्रॉपर्टीज इन्वेस्टमेंट फंड” (एआईपीएफ) के अनुसार, वक्फ का अर्थ है किसी व्यक्ति द्वारा अपनी संपत्ति को धार्मिक उद्देश्यों के लिए दान करना, जो कि कुछ रुपये से लेकर बेशकीमती हीरे-जवाहरात से भरी इमारत तक कुछ भी हो सकता है.ऐसी संपत्तियों को आम तौर पर “अल्लाह की संपत्ति” कहा जाता है.
जो व्यक्ति अपनी संपत्ति को वक्फ में दान करता है, उसे वकिफा कहा जाता है. वकिफा यह शर्त रख सकता है कि उसकी संपत्ति से होने वाली आय का उपयोग केवल शिक्षा या अस्पतालों के लिए किया जाएं. इन संपत्तियों को बेचा या धार्मिक उद्देश्यों के अलावा किसी अन्य उद्देश्य के लिए उपयोग नहीं किया जा सकता हैपैगंबर मोहम्मद के समय में खजूर के 600 पेड़ों का एक बाग वक्फ का पहला उदाहरण माना जाता है, जिससे होने वाली आय मदीना के गरीबों की मदद के लिए उपयोग की जाती थी.

क्यों विवाद में है waqf Bill?
वक्फ संशोधन विधेयक 2025 के मुख्य प्रावधानों में वक्फ बोर्डों में संरचनात्मक बदलाव, वक्फ संपत्तियों की परिभाषा में बदलाव, और महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा शामिल है. इसके अलावा, विधेयक में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए भी प्रावधान किए गए है.
हालांकि, विपक्षी दलों ने विधेयक के कुछ प्रावधानों पर आपत्ति जताई है, खासकर वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति के प्रस्ताव पर.उन्होंने तर्क दिया है कि यह संविधान के अनुच्छेद 26 का उल्लंघन होगा, जो अल्पसंख्यक समुदायों को अपने धार्मिक संस्थानों के प्रबंधन की स्वतंत्रता प्रदान करता है.

विधेयक के पारित होने और लागू होने के बाद ही इसके प्रभावों का पूर्ण आकलन किया जा सकेगा. लेकिन यह स्पष्ट है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और मुस्लिम समुदाय की शक्ति को प्रभावित करेगा.
क्यों इस बिल से मुस्नालिम है नाराज़?
वक्फ की प्रॉपर्टी कानूनी विवादों में फंसेगी
नए नियमों के अनुसार, अगर कोई प्रॉपर्टी वक्फ के नियमों के मुताबिक रजिस्टर नहीं है, तो वक्फ अमेंडमेंट एक्ट लागू होने के 6 महीने बाद वक्फ उस प्रॉपर्टी को लेकर कोर्ट में सुनवाई के लिए नहीं जा सकता. मुसलमानों को यह चिंता है कि कई वक्फ 500-600 साल पुराने हैं और उनके पक्के दस्तावेज नहीं हो
सकते हैं.
वक्फ की प्रॉपर्टी पर कब्जे को बढ़ावा मिलेगा
नए बदलावों में एक्ट की धारा 107 को हटाने और वक्फ की प्रॉपर्टीज को 1963 के लिमिटेशन एक्ट के दायरे में लाने का प्रावधान है और इससे वक्फ की प्रॉपर्टी पर कब्जे को बढ़ावा मिल सकता है.

वक्फ में गैर-मुस्लिमों को शामिल किया जाएगा
नए नियमों के अनुसार, गैर-मुस्लिमों को भी वक्फ बोर्ड में शामिल किया जा सकता है, जो कि मुस्लिम समुदाय के लिए चिंता का विषय है.
वक्फ प्रॉपर्टी के लिए वक्फनामा अनिवार्य होगा
नए नियमों के अनुसार, वक्फ प्रॉपर्टी के लिए वक्फनामा अनिवार्य होगा, जो कि इस्लामी परंपरा के विरुद्ध है.
वक्फ ट्रिब्यूनल के अधिकार खत्म होंगे
नए नियमों के अनुसार, वक्फ ट्रिब्यूनल के अधिकार खत्म हो जाएंगे, जो कि वक्फ मामलों में निर्णय लेने के लिए जिम्मेदार होते हैं.
इन चिंताओं के कारण मुसलमानों का एक बड़ा वर्ग वक्फ कानून में हो रहे संशोधन से नाखुश है.
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