नई दिल्ली: नई दिल्ली में आज का दिन राजनीतिक हलचल से भरा रहने वाला है। विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक के करीब 300 सांसद संसद से लेकर चुनाव आयोग (ECI) के मुख्यालय तक मार्च करेंगे। इस मार्च का नेतृत्व कांग्रेस सांसद राहुल गांधी करेंगे। इसका मुख्य उद्देश्य बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) और 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान लगे ‘मतदाता धोखाधड़ी’ के आरोपों के खिलाफ विरोध दर्ज कराना है। विपक्षी नेताओं का कहना है कि यह मार्च केवल प्रतीकात्मक नहीं है, बल्कि यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया की पारदर्शिता के लिए जरूरी कदम है।

राहुल गांधी की मांग और आरोप
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने जानकारी दी कि राहुल गांधी ने कई ऐसे सबूत पेश किए हैं जिन्हें नकारा नहीं जा सकता। उनके अनुसार, एक ही व्यक्ति का नाम कई अलग-अलग जगहों पर मतदाता सूची में दर्ज है, जिसमें मतदान केंद्र भी शामिल हैं। राहुल गांधी ने चुनाव आयोग से मतदाता सूची के इलेक्ट्रॉनिक डेटा की मांग की है, ताकि सॉफ्टवेयर की मदद से यह जांच हो सके कि एक EPIC नंबर पर कितने वोट डाले गए। सिंह ने यह भी आरोप लगाया कि बिहार में बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) एक कमरे में बैठकर ‘फर्जी फॉर्म’ भर रहे हैं, जिससे मतदाता सूची में गड़बड़ी हो रही है।
बिहार में SIR पर सवाल
दिग्विजय सिंह ने बिहार में SIR की आवश्यकता पर भी सवाल उठाया। उनका कहना है कि 2003 में हुए गहन परीक्षण में इस प्रक्रिया को पूरा करने में दो साल लगे थे, जबकि इस बार इसे महज एक महीने में खत्म करने की कोशिश हो रही है। विपक्ष का आरोप है कि इतनी जल्दबाजी पारदर्शिता पर सवाल खड़े करती है। उनका मानना है कि यह प्रक्रिया निष्पक्ष और सटीक तभी होगी जब हर कदम सावधानी से और पर्याप्त समय लेकर पूरा किया जाए।

बीजेपी का पलटवार
विपक्ष के इस बड़े प्रदर्शन पर बीजेपी ने कड़ा रुख अपनाया है। पार्टी सांसद प्रताप चंद्र सारंगी ने कहा कि जैसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले कहा है, कुछ लोग विरोध और आंदोलन के बिना नहीं रह सकते। उन्होंने राहुल गांधी पर आरोप लगाया कि वह एक गैर-मुद्दे को मुद्दा बनाकर संवैधानिक संस्था को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। सारंगी ने कहा कि चुनाव आयोग द्वारा जारी नोटिस उचित है और विपक्ष का यह कदम केवल राजनीतिक ड्रामा है।

कर्नाटक में भी विवाद की गूंज
यह विवाद केवल बिहार तक सीमित नहीं है। कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने राहुल गांधी से उनके ‘वोट चोरी’ के आरोपों के समर्थन में दस्तावेज पेश करने को कहा है। 10 अगस्त को जारी नोटिस में कहा गया कि राहुल गांधी ने 7 अगस्त की प्रेस कॉन्फ्रेंस में ऐसे दस्तावेज दिखाए थे, जिनमें एक मतदाता शकुन रानी के दो बार वोट डालने का दावा किया गया था। लेकिन जांच में शकुन रानी ने इनकार कर दिया। साथ ही, राहुल गांधी द्वारा पेश किया गया टिक-मार्क वाला दस्तावेज चुनाव अधिकारी द्वारा जारी नहीं किया गया था, जिससे उसकी प्रामाणिकता पर सवाल खड़े हो गए।

आंदोलन का राजनीतिक असर
राहुल गांधी के नेतृत्व में निकाला जा रहा यह मार्च केवल एक विरोध कार्यक्रम नहीं, बल्कि आने वाले चुनावों के लिए विपक्ष की रणनीति का हिस्सा भी है। इस मुद्दे को पूरे देश में उठाने और जनता के बीच जागरूकता बढ़ाने की योजना बनाई जा रही है। विपक्ष का मानना है कि वोट चोरी विवाद और मतदाता सूची की गड़बड़ी को उजागर करके वे मतदाताओं का विश्वास जीत सकते हैं। हालांकि, बीजेपी इसे केवल चुनावी राजनीति का हथकंडा बता रही है। आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि यह विवाद जनता के वोटिंग पैटर्न को कितना प्रभावित करता है।

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