John Bolton: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों पर उनके ही पूर्व सहयोगी ने सवाल उठाए हैं। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बॉल्टन का कहना है कि भारत पर भारी टैरिफ लगाना एक रणनीतिक गलती है। उनका आरोप है कि यह फैसला दशकों से चले आ रहे अमेरिकी प्रयासों को नुकसान पहुंचा सकता है, जिनका उद्देश्य भारत को रूस और चीन से दूरी बनाए रखना था। बॉल्टन का मानना है कि इस तरह के आर्थिक दबाव से भारत और अमेरिका के बीच भरोसे की दीवार कमजोर हो सकती है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर यह नीति जारी रही, तो भारत का रुझान रूस और चीन की ओर और बढ़ सकता है।

भारत पर सख्ती, चीन पर नरमी
जॉन बॉल्टन के मुताबिक, ट्रंप प्रशासन ने अप्रैल में चीन के खिलाफ टैरिफ वॉर शुरू की थी, लेकिन बाद में इसे रोक दिया गया। अमेरिकी पक्ष ने तर्क दिया कि दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते पर बातचीत चल रही है। इसके विपरीत, भारत पर 50% तक का भारी शुल्क लगा दिया गया। इसमें 25% का अतिरिक्त टैरिफ भी शामिल है, जिसे ट्रंप ने भारत के रूस के साथ व्यापार—खासकर तेल और सैन्य उपकरण—के कारण उचित ठहराया। ट्रंप का आरोप है कि भारत इस खरीद से रूस को यूक्रेन युद्ध में आर्थिक मदद दे रहा है।

नकारात्मक प्रतिक्रिया और विडंबना
सीएनएन से बातचीत में बॉल्टन ने कहा कि इस टैरिफ का असर उम्मीद से ज्यादा नकारात्मक रहा है। भारत ने इस फैसले को अनुचित बताते हुए कड़ा विरोध किया है। बॉल्टन ने इसे विडंबना बताया कि रूस को नुकसान पहुंचाने के इरादे से उठाया गया कदम, भारत को रूस और चीन के और करीब ला सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह की पॉलिसी से न केवल आर्थिक रिश्ते, बल्कि राजनीतिक भरोसा भी कमजोर हो सकता है। अगर भारत को लगे कि अमेरिका उस पर ज्यादा दबाव डाल रहा है, तो वह अपने रणनीतिक विकल्पों पर फिर से विचार कर सकता है।

रणनीतिक प्रयासों पर खतरा
बॉल्टन का मानना है कि दशकों से अमेरिका, भारत को रूस और चीन के प्रभाव से दूर रखने की कोशिश करता रहा है। लेकिन मौजूदा टैरिफ पॉलिसी इस प्रयास को खतरे में डाल रही है। उन्होंने आशंका जताई कि अगर स्थिति नहीं बदली तो भारत, रूस और चीन किसी मुद्दे पर एक साथ आकर अमेरिका के खिलाफ खड़ा हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत जैसे लोकतांत्रिक और उभरती अर्थव्यवस्था वाले देश के साथ मजबूत साझेदारी बनाए रखना, अमेरिका के दीर्घकालिक हित में है।

अमेरिका के पूर्व ट्रेड ऑफिसियल और विदेश नीति विशेषज्ञ क्रिस्टोफर पैडिला ने भी यही आशंका जताई है। उन्होंने कहा कि यह टैरिफ भारत-अमेरिका संबंधों को दीर्घकालिक नुकसान पहुंचा सकता है। उनके अनुसार, भविष्य में भारत यह सवाल उठा सकता है कि क्या अमेरिका एक भरोसेमंद पार्टनर है। पैडिला ने चेतावनी दी कि यह टैरिफ और पेनल्टी लंबे समय तक याद रखी जाएंगी और भारत के रणनीतिक फैसलों को प्रभावित कर सकती हैं।
भारत और रूस की प्रतिक्रिया
ट्रंप के अतिरिक्त शुल्क के बावजूद भारत ने साफ किया है कि वह रूस से तेल खरीदना बंद नहीं करेगा। भारत का तर्क है कि ऊर्जा सुरक्षा उसकी प्राथमिकता है और कोई भी देश उसे इस मामले में आदेश नहीं दे सकता। दूसरी ओर, रूस ने भारत का खुलकर समर्थन किया। उसने अमेरिका पर ‘अवैध व्यापारिक दबाव’ डालने का आरोप लगाया। यह बयान ऐसे समय में आया है जब 15 अगस्त को अलास्का में ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात होने वाली है।

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