Sunday, July 13, 2025

Supreme court की सख्त टिप्पणी,भारत धर्मशाला नहीं जहां दुनिया भर के लोग आ जाए,जानिए SC ने ऐसा क्यों कहा?

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Supreme court:सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में शरणार्थियों के मुद्दे पर बड़ी टिप्पणी की है. सोमवार को एक श्रीलंकाई नागरिक की भारत में शरणार्थी के तौर पर रहने की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा है कि भारत एक धर्मशाला नहीं है जहां दुनिया भर के शरणार्थियों को आश्रय दिया जा सके. न्यायमूर्ति दीपंकर दत्ता और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की है और याचिकाकर्ता को साल 2015 में एलटीटीई (LTTE) से जुड़े होने के संदेह में गिरफ्तार किया था.

Supreme court (photo credit -google)

क्यों वापस नहीं जाना चाहता याचिकाकर्ता?

साल 2018 में एक ट्रायल कोर्ट ने गैरकानूनी गतिविधि ( रोकथाम) अधिनियम के चलते दोषी ठहराया था और 10 साल की जेल की सजा सुनाई थी. बाद में मद्रास उच्च न्यायालय ने उसकी सजा को घटकर 7 साल कर दिया था. लेकिन अब सजा पूरी होने के बाद उसने श्रीलंका जाने से इनकार कर दिया और भारत में शरणार्थी के रूप में रहने की अनुमति मांगी. याचिकाकर्ता ने कहा है कि श्रीलंका में उसकी जान को खतरा है और उसकी पत्नी और बच्चे भी भारत में है. लेकिन न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा -” क्या भारत को दुनिया भर के शरणार्थियों के लिए आश्रय स्थल बनाना चाहिए ? हम 140 करोड लोगों के साथ संघर्ष कर रहे हैं. यह धर्मशाला नहीं है कि हर जगह से विदेशी नागरिकों का स्वागत कर सकें.

Supreme court (photo credit -google)

अदालत ने कहा आर्टिकल 19 और 21 सिर्फ भारतीयों पर लागू होता है

याचिका करता के वकील ने संविधान के आर्टिकल्स 21 ( जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा) और आर्टिकल 19 के तहत मामले पर बहस की थी. न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा कि याचिका करता की हिरासत आर्टिकल 21 का उल्लघंन नहीं करती हैं क्योंकि उसे कानून के अनुसार हिरासत में लिया गया था. अदालत ने बताया कि आर्टिकल 19 केवल भारतीय नागरिकों के लिए उपलब्ध है. अदालत में याचिकाकर्ता के भारत में बसने के अधिकारी पर सवाल उठाया और कहा -” यहां बसने का आपका क्या अधिकार है?” जो वकील ने कहा कि वह शरणार्थी है और श्री लंका में उसकी जान को खतरा है तो अदालत ने कि वह किसी और देश चला जाए.

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