Sunday, December 7, 2025

SCO Summit 2025: PM मोदी-शी जिनपिंग की बैठक उम्मीद से लंबी, भारत ने साझा किया रणनीतिक एजेंडा

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Hemant Raushan
Hemant Raushan
Delhi-based content writer at The Rajdharma News, with 5+ years of UPSC CSE prep experience. I cover politics, society, and current affairs with a focus on depth, balance, and fact-based journalism.

SCO Summit 2025: शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में तियानजिन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात रविवार को खास चर्चा का विषय रही। पहले यह बैठक सिर्फ 40 मिनट की तय थी, लेकिन दोनों नेताओं की वार्ता एक घंटे से भी अधिक चली। माहौल सकारात्मक रहा और कई अहम मुद्दों पर खुलकर बात हुई। यह मुलाकात इसलिए भी खास है क्योंकि मोदी सात साल बाद चीन की धरती पर पहुंचे हैं और भारत-चीन रिश्तों में पिछले कुछ वर्षों में सीमा विवाद और आर्थिक तनाव को लेकर तल्खी देखने को मिली थी। इस वार्ता को दोनों देशों के लिए भरोसा बहाल करने और भविष्य के सहयोग की नई शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि इस बैठक से एशिया की कूटनीतिक स्थिति पर भी गहरा असर पड़ सकता है।

द्विपक्षीय रिश्तों में भरोसा और सम्मान पर दिया गया जोर

बैठक के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने चीन की गर्मजोशी भरे स्वागत के लिए आभार जताया और 2024 में कजान (रूस) में हुई मुलाकात को याद किया। उन्होंने कहा कि उस मुलाकात से द्विपक्षीय संबंधों में सकारात्मक असर दिखा और अब इसे और आगे ले जाने का समय है। मोदी ने स्पष्ट किया कि भारत आपसी भरोसे, सम्मान और संवेदनशीलता के आधार पर रिश्तों को मजबूत करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। बैठक के दौरान यह भी सहमति बनी कि सीमा पर शांति बनाए रखने के प्रयास तेज किए जाएंगे और द्विपक्षीय स्तर पर आपसी सहयोग बढ़ाया जाएगा। इस मौके पर मोदी ने कहा, “हमारा सहयोग सिर्फ भारत और चीन के लिए नहीं बल्कि पूरी मानवता के कल्याण के लिए अहम है।” इस बयान को अंतरराष्ट्रीय मीडिया में विशेष महत्व के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि भारत और चीन एशिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएँ हैं।

सीधी उड़ान सेवाओं और व्यापार को लेकर बड़ा ऐलान

बैठक का एक महत्वपूर्ण बिंदु दोनों देशों के बीच सीधी उड़ान सेवाओं की बहाली रहा। कोविड-19 महामारी के बाद और पूर्वी लद्दाख में सैन्य तनाव बढ़ने के कारण उड़ानें बंद कर दी गई थीं। अब प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की कि भारत और चीन के बीच जल्द ही सीधी उड़ान सेवाएँ शुरू होंगी। इससे न सिर्फ व्यापार और निवेश में तेजी आएगी, बल्कि दोनों देशों के नागरिकों के बीच संपर्क भी और आसान होगा। हाल ही में बीजिंग में विदेश मंत्री वांग यी और एस. जयशंकर की मुलाकात में भी इस मुद्दे पर सहमति बनी थी। मोदी का यह कदम स्पष्ट करता है कि भारत रिश्तों में विश्वास बहाल करने और आर्थिक सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठा रहा है। विश्लेषक मानते हैं कि उड़ान सेवाओं की बहाली से द्विपक्षीय व्यापार को नई दिशा मिलेगी और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।

सीमा विवाद और सुरक्षा मुद्दों पर शुरू हुआ संवाद

मोदी और जिनपिंग की बातचीत सिर्फ आर्थिक सहयोग तक सीमित नहीं रही। सीमा विवाद पर भी चर्चा हुई, खासकर पूर्वी लद्दाख के हालात पर। दोनों देशों ने स्वीकार किया कि तनावपूर्ण घटनाओं ने रिश्तों को नुकसान पहुंचाया है और इसे संतुलित करने के लिए नए संवाद तंत्र पर काम करने की आवश्यकता है। मोदी ने इस दौरान मानसरोवर यात्रा की पुनः शुरुआत का भी जिक्र किया और इसे भरोसे की बहाली की दिशा में अहम कदम बताया। बैठक के दौरान सुरक्षा सहयोग, आतंकवाद और क्षेत्रीय स्थिरता जैसे मुद्दों पर भी विचार हुआ। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और चीन अगर मिलकर काम करें तो 2.8 अरब लोगों की आकांक्षाओं को पूरा किया जा सकता है। इस बयान ने स्पष्ट किया कि भारत अब केवल सीमा विवाद तक सीमित नहीं है बल्कि वह व्यापक रणनीतिक साझेदारी की ओर देख रहा है।

ट्रंप टैरिफ और वैश्विक तनाव के बीच भारत का संतुलित रुख

यह बैठक ऐसे समय हुई है जब अमेरिका ने भारत पर 50% तक का टैरिफ लगा दिया है और रूस पर भी कई तरह के प्रतिबंध लागू हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ती प्रतिस्पर्धा और तनाव के बीच भारत अपनी कूटनीति को संतुलित रखने की कोशिश कर रहा है। SCO Summit में मोदी का पुतिन और जिनपिंग दोनों से मिलना, वैश्विक समीकरणों के लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है। कई विशेषज्ञ इसे अमेरिका की नीति की असफलता के तौर पर देख रहे हैं। बैठक में मोदी ने स्पष्ट संदेश दिया कि भारत किसी भी वैश्विक दबाव में नहीं आएगा और अपनी नीतियों को स्वतंत्र रूप से आगे बढ़ाएगा। SCO Summit का यह सत्र भारत के लिए एशियाई राजनीति में एक मजबूत भूमिका निभाने का संकेत देता है और आने वाले समय में इसका असर लंबे समय तक देखने को मिल सकता है।

ये भी पढ़ें: PM मोदी का चीन दौरा 2025: शी जिनपिंग और पुतिन से मुलाकात क्यों मानी जा रही है रणनीतिक रूप से अहम

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