Sunday, December 7, 2025

SCO शिखर सम्मेलन 2025: PM मोदी-पुतिन की अहम बैठक, भारत ने रखा शांति और सहयोग का एजेंडा

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Hemant Raushan
Hemant Raushan
Delhi-based content writer at The Rajdharma News, with 5+ years of UPSC CSE prep experience. I cover politics, society, and current affairs with a focus on depth, balance, and fact-based journalism.

SCO Summit 2025: चीन के तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय मुलाकातें कीं। इस बार का सम्मेलन कई मायनों में खास माना जा रहा है, क्योंकि वैश्विक राजनीति इस समय यूक्रेन संघर्ष और एशिया में बदलते समीकरणों से गुजर रही है। ऐसे माहौल में भारत ने शांति, सहयोग और कनेक्टिविटी को अपना रणनीतिक एजेंडा बनाकर दुनिया के सामने स्पष्ट संदेश दिया है। प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच हुई द्विपक्षीय बैठक काफी अहम रही। दोनों नेताओं ने न केवल आपसी संबंधों पर बात की बल्कि मौजूदा वैश्विक संकटों को लेकर भी विचार साझा किए।

मोदी ने पुतिन को भारत आने का न्योता दिया और कहा कि 140 करोड़ भारतीय दिसंबर में होने वाले शिखर सम्मेलन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। मोदी ने यह भी याद दिलाया कि भारत और रूस दशकों से हर परिस्थिति में एक-दूसरे के साथ खड़े रहे हैं। “हर कठिनाई में रूस भारत का भरोसेमंद साथी रहा है और यही हमारी साझेदारी की ताकत है।” – पीएम मोदी। इस बैठक में यूक्रेन संघर्ष पर भी चर्चा हुई और भारत ने एक बार फिर शांति समाधान पर जोर दिया। भारत का रुख साफ है कि किसी भी समस्या का हल बातचीत और कूटनीति से ही निकल सकता है।

SCO Summit 2025 में भारत का विजन: S, C और O का मंत्र

शिखर सम्मेलन में अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने एससीओ के लिए भारत का विजन रखा। उन्होंने कहा कि भारत की नीति तीन स्तंभों पर आधारित है – S यानी Security, C यानी Connectivity और O यानी Opportunity। उन्होंने कहा, “सुरक्षा, शांति और स्थिरता किसी भी देश के विकास का आधार हैं। लेकिन आतंकवाद, अलगाववाद और अतिवाद इस राह में सबसे बड़ी चुनौती हैं।” प्रधानमंत्री ने पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र करते हुए कहा कि भारत चार दशकों से आतंकवाद का दंश झेल रहा है। उन्होंने सदस्य देशों से बिना किसी दोहरे मानदंड के आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की अपील की। मोदी का यह संदेश साफ था कि अब आतंकवाद को लेकर किसी भी तरह की राजनीति स्वीकार्य नहीं होगी। भारत चाहता है कि SCO को सिर्फ एक क्षेत्रीय मंच न समझा जाए, बल्कि इसे वैश्विक शांति और सहयोग का प्रतीक बनाया जाए।

कनेक्टिविटी पर भारत का जोर: चाबहार और नए रास्तों की दिशा

प्रधानमंत्री मोदी ने इस मंच पर कनेक्टिविटी को भी केंद्र में रखा। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा मानता है कि मजबूत कनेक्टिविटी न केवल व्यापार को बढ़ाती है बल्कि विश्वास और विकास के द्वार भी खोलती है। मोदी ने चाबहार पोर्ट और International North-South Transport Corridor का जिक्र किया और बताया कि इन प्रोजेक्ट्स से मध्य एशिया और अफगानिस्तान तक पहुंच आसान होगी। मोदी ने यह भी स्पष्ट किया कि कनेक्टिविटी के हर प्रयास में सदस्य देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान होना चाहिए। भारत का रुख यह रहा है कि कनेक्टिविटी के नाम पर किसी देश पर दबाव या राजनीतिक नियंत्रण नहीं होना चाहिए। भारत ने SCO देशों को भरोसा दिलाया कि वह इस दिशा में हर संभव सहयोग देने के लिए तैयार है।

आतंकवाद पर सख्त रुख: मानवता के लिए खतरा

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में आतंकवाद को मानवता का सबसे बड़ा दुश्मन करार दिया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद किसी एक देश तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरी दुनिया के लिए साझा चुनौती है। “कोई भी समाज, कोई भी देश यह नहीं सोच सकता कि वह आतंकवाद से पूरी तरह सुरक्षित है।” – पीएम मोदी। मोदी ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा कि आतंकवाद को खुलेआम समर्थन देने वाले देशों को दुनिया के सामने बेनकाब करना होगा। उन्होंने दोहराया कि आतंकवाद के किसी भी रूप और रंग को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। भारत ने SCO देशों से आह्वान किया कि वे आतंकवाद के वित्तपोषण और समर्थन पर पूरी तरह रोक लगाएं।

अवसर और सहयोग: भारत का नया प्रस्ताव

मोदी ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि भारत SCO को केवल सुरक्षा और राजनीति तक सीमित नहीं रखना चाहता। उन्होंने सुझाव दिया कि इस मंच को आम लोगों से जोड़ने की जरूरत है। उन्होंने स्टार्ट-अप, डिजिटल इनोवेशन, पारंपरिक चिकित्सा और युवा सशक्तिकरण जैसे क्षेत्रों में साझा सहयोग का प्रस्ताव रखा। मोदी ने एक और अनोखा सुझाव दिया – Civilizational Dialogue Forum। उन्होंने कहा कि इस मंच के जरिए सदस्य देश अपनी प्राचीन सभ्यताओं, संस्कृति और परंपराओं को साझा कर सकते हैं। यह न केवल आपसी विश्वास बढ़ाएगा, बल्कि दुनिया के सामने SCO की एक नई पहचान बनेगी।

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