Sunday, December 7, 2025

वोट चोरी पर राहुल गांधी का बड़ा हमला: ‘देश के गुनहगारों को मिलेगी सजा’, BJP-EC पर सीधे आरोप

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Hemant Raushan
Hemant Raushan
Delhi-based content writer at The Rajdharma News, with 5+ years of UPSC CSE prep experience. I cover politics, society, and current affairs with a focus on depth, balance, and fact-based journalism.

Rahul Gandhi: वोट चोरी पर राहुल गांधी ने एक बार फिर पूरे राजनीतिक परिदृश्य को झकझोर कर रख दिया है। शुक्रवार सुबह उन्होंने एक्स (X) पर एक वीडियो साझा किया, जिसमें चुनाव आयोग और भारतीय जनता पार्टी पर “संस्थागत वोट चोरी” का गंभीर आरोप लगाया। वीडियो में राहुल ने कहा, “वोट चोरी सिर्फ एक चुनावी घोटाला नहीं, ये भारत के संविधान और लोकतंत्र के साथ किया गया बड़ा धोखा है।” उन्होंने साफ शब्दों में चेतावनी दी — “देश के गुनहगार सुन लें, वक्त बदलेगा, सजा जरूर मिलेगी।” उनकी यह टिप्पणी उस प्रेस कॉन्फ्रेंस के ठीक अगले दिन आई, जिसमें उन्होंने बेंगलुरु की महादेवपुरा विधानसभा का हवाला देकर वोटर लिस्ट में बड़े स्तर पर गड़बड़ी का दावा किया था।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में बड़ा दावा: महादेवपुरा में 1 लाख वोट चोरी

वोट चोरी पर राहुल गांधी ने गुरुवार को दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर एक अहम खुलासा किया। उन्होंने कहा कि कर्नाटक की बेंगलुरु मध्य लोकसभा सीट के तहत आने वाले महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में 1,00,250 मतों की गड़बड़ी की गई। राहुल गांधी के अनुसार, पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने इस सीट पर सिर्फ 32,707 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर मतदाता सूची में 1 लाख से ज्यादा फर्जी वोट डाले गए हों, तो चुनाव नतीजों की वैधता पर कैसे भरोसा किया जाए? उनका आरोप था कि यह पूरी साजिश भाजपा और निर्वाचन आयोग की मिलीभगत से रची गई और यह न सिर्फ लोकतंत्र का अपमान है, बल्कि संविधान के खिलाफ एक अपराध भी है।

ज़मीन पर गुस्सा, लेकिन नतीजों में कुछ और: राहुल ने उठाए सवाल

राहुल गांधी ने कुछ राज्यों के चुनाव नतीजों को लेकर भी शक जाहिर किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, हरियाणा और महाराष्ट्र में जनता में साफ तौर पर सत्ता विरोधी लहर थी, लेकिन परिणाम उसके उलट आए। मध्य प्रदेश का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा, “भारत जोड़ो यात्रा के दौरान मैंने हर जिले में बदलाव की हवा महसूस की। लेकिन फिर भी सिर्फ 65 सीटें मिलीं। ये कैसे हो सकता है?” उनके मुताबिक, यह सिर्फ संयोग नहीं हो सकता। उन्होंने बेंगलुरु सेंट्रल जैसे क्षेत्रों में एक ही पते पर सैकड़ों वोटर दर्ज होने का भी उदाहरण दिया।

SIR प्रक्रिया पर सवाल: क्या वंचितों को वोट से बाहर किया जा रहा है?

बिहार में चल रही SIR (Special Intensive Revision) प्रक्रिया भी राहुल गांधी के निशाने पर रही। उन्होंने आरोप लगाया कि यह पूरी प्रक्रिया गरीब, दलित, पिछड़े और मुस्लिम समुदाय को वोटर लिस्ट से बाहर करने की रणनीति है। उनके मुताबिक, इस प्रक्रिया में लोगों को अपनी नागरिकता साबित करनी पड़ रही है, जो कि कमजोर वर्गों के लिए मुश्किल है। यही कारण है कि इस मुद्दे को लेकर पटना हाईकोर्ट तक मामला पहुंच चुका है और न्यायिक जांच की मांग हो रही है। INDIA गठबंधन के दलों का मानना है कि SIR का इस्तेमाल भाजपा अपने वोटबैंक को मजबूत करने के लिए कर रही है, जो लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।

चुनाव आयोग को खुली चुनौती: ‘मेरा वचन ही मेरी शपथ है’

वोट चोरी पर राहुल गांधी ने चुनाव आयोग के उस बयान पर भी पलटवार किया जिसमें आयोग ने उनसे शपथ लेकर सबूत मांगे थे। राहुल ने जवाब में कहा, “मेरा वचन ही मेरी शपथ है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि उन्होंने जो कुछ भी कहा है, वह पूरी जिम्मेदारी के साथ कहा है और वह इसके लिए तैयार हैं कि स्वतंत्र एजेंसी द्वारा जांच हो। उन्होंने चुनाव आयोग से मांग की है कि देशभर की वोटर लिस्ट का निष्पक्ष ऑडिट कराया जाए। उनका तर्क है कि अगर सब कुछ सही है तो जांच से डर क्यों?

निजी अनुभव से शुरू हुआ वीडियो, राजनीति से गहरा जुड़ाव

राहुल गांधी ने अपने वीडियो की शुरुआत एक निजी याद से की। उन्होंने बताया कि कैसे 1980 में वह और प्रियंका गांधी मिलकर घर में हाथ से पोस्टर बनाते थे। उन्होंने कहा कि तभी से वह राजनीति को जीते आए हैं। चुनावी प्रक्रिया को वह अंदर तक समझते हैं — चाहे वह बूथ मैनेजमेंट हो या वोटर लिस्ट का विश्लेषण। उनका कहना था कि बीते कुछ वर्षों से वे लगातार देख रहे हैं कि “मूड एक होता है और नतीजा कुछ और आता है”, जो सीधे लोकतंत्र की आत्मा पर सवाल खड़ा करता है।

भाजपा का जवाब: ‘पराजय की हताशा’ या लोकतंत्र की लड़ाई?

राहुल गांधी के आरोपों के जवाब में भाजपा ने कहा कि यह पराजय की हताशा है। पार्टी प्रवक्ताओं ने दावा किया कि राहुल अपनी हार का ठीकरा अब चुनाव आयोग और ईवीएम पर फोड़ रहे हैं। हालांकि विपक्ष का कहना है कि अगर चुनाव आयोग पारदर्शी है, तो उसे हर बूथ की वोटर लिस्ट सार्वजनिक करनी चाहिए। साथ ही एक स्वतंत्र संस्था से पूरे तंत्र की जांच करानी चाहिए। यह बहस अब सिर्फ एक नेता की नाराजगी नहीं रह गई, बल्कि देशभर में चुनाव प्रणाली की पारदर्शिता को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।

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