Sunday, December 7, 2025

“राहुल गांधी के बयान पर सुप्रीम कोर्ट ने उठाया सवाल– ‘चीन ने 2,000 किमी ज़मीन हड़पी, ये आपको कैसे पता?'”

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Hemant Raushan
Hemant Raushan
Delhi-based content writer at The Rajdharma News, with 5+ years of UPSC CSE prep experience. I cover politics, society, and current affairs with a focus on depth, balance, and fact-based journalism.

सुप्रीम कोर्ट: कांग्रेस नेता राहुल गांधी को उस वक्त सुप्रीम कोर्ट से सख्त टिप्पणी झेलनी पड़ी जब उन्होंने दावा किया कि चीन ने लद्दाख की 2,000 वर्ग किलोमीटर भूमि पर कब्जा कर लिया है। कोर्ट ने उनसे सीधा सवाल पूछा, “क्या आप वहां मौजूद थे? आपके पास क्या प्रमाण है?” यह सुनवाई उस आपराधिक मानहानि मामले से जुड़ी थी, जो उनके ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान दिए गए इसी बयान पर आधारित है। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि एक सच्चे भारतीय से ऐसी बयानबाज़ी की उम्मीद नहीं की जाती। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस तरह के गंभीर आरोप बिना ठोस प्रमाण के नहीं लगाए जा सकते।

अदालत ने जताई नाराज़गी– संसद में बोलें, सोशल मीडिया पर नहीं

सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एजी मसीह की पीठ ने कहा कि एक ज़िम्मेदार विपक्षी नेता को सोशल मीडिया या सार्वजनिक रैलियों के बजाय संसद में अपनी बात रखनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि संवेदनशील मुद्दों पर सार्वजनिक रूप से बयान देने से भ्रम फैल सकता है और देश की छवि को नुकसान पहुंच सकता है। राहुल गांधी की ओर से दायर याचिका के चलते सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल उनके खिलाफ चल रही निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगा दी है, लेकिन कोर्ट का रुख सख्त बना हुआ है।

‘क्या आप वहां थे?’– कोर्ट ने उठाए तथ्यों पर सवाल

कोर्ट ने यह जानना चाहा कि क्या राहुल गांधी स्वयं घटनास्थल पर मौजूद थे या उनके पास चीन द्वारा भारतीय भूमि कब्जाने का कोई प्रमाण है। अदालत ने कहा कि ऐसे वक्तव्य सिर्फ राजनीतिक बयान नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी संवेदनशीलता को प्रभावित करते हैं। इसलिए हर नेता को यह समझना चाहिए कि बयान का असर सिर्फ राजनीतिक सीमाओं तक नहीं रहता, बल्कि आम जनता और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की साख पर भी असर डालता है।

‘सरेंडर’ वाला बयान बना था विवाद की वजह

यह मामला दिसंबर 2022 का है, जब राहुल गांधी ने गलवान घाटी में झड़प के बाद सरकार पर चीन के सामने ‘सरेंडर’ करने का आरोप लगाया था। उनके इस बयान को वकील उदय शंकर श्रीवास्तव ने अपमानजनक मानते हुए अदालत में शिकायत दर्ज कराई थी। इसी शिकायत के आधार पर एक स्थानीय अदालत ने राहुल गांधी को समन भेजा था। यह बयान उस वक्त भी काफी विवादों में रहा था और अब सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद एक बार फिर चर्चा में आ गया है।

राहुल गांधी ने श्रीनगर में फिर दोहराया दावा

जनवरी 2023 में श्रीनगर में राहुल गांधी ने अपने बयान को दोहराते हुए कहा कि चीन हमारी ज़मीन पर कब्जा कर चुका है और सरकार इस सच्चाई से इनकार कर रही है। उन्होंने कहा कि जब तक यह स्थिति नहीं बदलती, तब तक वे इस मुद्दे को बार-बार उठाते रहेंगे। राहुल का कहना था कि यह सिर्फ राजनीतिक मुद्दा नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मसला है, जिसे छुपाया नहीं जा सकता।

अभिषेक सिंघवी का तर्क– विपक्ष सवाल नहीं पूछेगा तो कौन पूछेगा?

राहुल गांधी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत में पक्ष रखते हुए कहा कि अगर विपक्ष सवाल नहीं उठाएगा, तो लोकतंत्र अधूरा रह जाएगा। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी सिर्फ वही बात दोहरा रहे थे जो पहले से मीडिया में आ चुकी है। उन्होंने कोर्ट की “सच्चे भारतीय” टिप्पणी पर जवाब देते हुए कहा कि एक सच्चा भारतीय यह भी कह सकता है कि हमारे सैनिक शहीद हुए हैं और हमें इस पर चिंता होनी चाहिए।

इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी– अभिव्यक्ति की आज़ादी की सीमा है

इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मई 2024 में राहुल गांधी की याचिका को खारिज कर दिया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ का मतलब यह नहीं कि कोई सेना को बदनाम करने वाले बयान दे। कोर्ट का कहना था कि एक सार्वजनिक नेता होने के नाते राहुल गांधी को अपने शब्दों की जिम्मेदारी लेनी होगी।

भाजपा का पलटवार– सेना का मनोबल गिराने की कोशिश

राहुल गांधी के बयानों पर बीजेपी ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी है। भाजपा प्रवक्ताओं ने उन्हें ‘हमेशा भ्रमित रहने वाला नेता’ करार दिया और आरोप लगाया कि वह कांग्रेस के पुराने ‘सरेंडर’ रवैये को ही दोहरा रहे हैं। पार्टी का कहना है कि ऐसे बयान देश की सुरक्षा और सेना के मनोबल पर विपरीत असर डालते हैं। बीजेपी नेताओं ने कहा कि राहुल को राजनीति और देशहित के बीच फर्क समझना चाहिए।

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