Patna: लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी 17 अगस्त से बिहार में ‘वोट अधिकार यात्रा’ शुरू करने जा रहे हैं। यह यात्रा सासाराम से पटना तक चलेगी और राज्य के लगभग 30 जिलों को कवर करेगी। कांग्रेस ने इस अभियान को तीन चरणों में विभाजित किया है, ताकि अलग-अलग इलाकों में जनसंपर्क अधिक प्रभावी हो सके। यात्रा की शुरुआत दलित नेता बाबू जगजीवन राम की धरती से करना कांग्रेस की एक रणनीतिक चाल मानी जा रही है, जिसका उद्देश्य दलित वोट बैंक को साधना है। इस रूट में शाहाबाद के 22 विधानसभा क्षेत्र भी शामिल हैं, जहां महागठबंधन का प्रभाव पहले से मजबूत है।

तारीख बदली, तैयारी और मजबूत
पहले यह यात्रा 10 अगस्त से शुरू होने वाली थी, लेकिन झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के निधन के कारण इसे एक सप्ताह आगे बढ़ा दिया गया। तारीख बदलने के साथ कांग्रेस ने अपनी तैयारी और तेज कर दी है। सासाराम से निकलकर यात्रा गया, नवादा, बांका, भागलपुर होते हुए पटना पहुंचेगी। रास्ते में कई जनसभाएं और पदयात्रा के पड़ाव होंगे, जहां राहुल गांधी सीधे जनता से संवाद करेंगे। इससे पहले ही कांग्रेस ने जिलावार समन्वयक नियुक्त कर दिए हैं, जो भीड़ जुटाने और कार्यक्रम के प्रबंधन की जिम्मेदारी संभालेंगे।

एकजुटता का मंच और महागठबंधन की ताकत
इस यात्रा को महागठबंधन विपक्ष की एकजुटता दिखाने के बड़े मंच के रूप में देख रहा है। राहुल गांधी के साथ तेजस्वी यादव पूरे समय रहेंगे, वहीं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और प्रियंका गांधी वाड्रा भी कुछ चरणों में शामिल हो सकती हैं। राजद, वामदलों और अन्य सहयोगी दलों के नेता भी यात्रा में मंच साझा करेंगे। पिछली बार आईएनडीआईए गठबंधन में कई दल बीच में अलग हो गए थे, लेकिन इस बार कांग्रेस शुरुआत से ही साझा मंच से यात्रा कर रही है, ताकि विपक्षी एकता का स्पष्ट संदेश दिया जा सके।

चुनाव आयोग और जनता के मुद्दों पर फोकस
इस यात्रा के एजेंडे में मतदाता सूची में कथित गड़बड़ी, चुनाव आयोग पर पक्षपात के आरोप, बेरोजगारी, महंगाई, अपराध और शिक्षा-स्वास्थ्य की बदहाल स्थिति जैसे मुद्दे शामिल हैं। कांग्रेस का आरोप है कि बिहार में बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम सूची से हटाए गए हैं। यात्रा के दौरान राहुल गांधी इन मुद्दों पर खुलकर बोलेंगे और जनता से सीधा जुड़कर उनकी राय सुनेंगे। पार्टी का मानना है कि यही संवाद आगामी चुनावों में विपक्ष की मजबूती की कुंजी बनेगा।

‘भारत जोड़ो’ से प्रेरित जनसंपर्क यात्रा
राहुल गांधी की यह यात्रा ‘भारत जोड़ो’ अभियान की तर्ज पर होगी, जिसमें जनता के बीच रहकर संदेश देने पर जोर रहेगा। वे यात्रा के दौरान गांवों और कस्बों में बने कंटेनर में रुकेंगे, जिससे यह संदेश जाएगा कि वे आम लोगों के साथ खड़े हैं। यात्रा में संविधान और लोकतांत्रिक संस्थाओं की रक्षा का मुद्दा भी प्रमुख रहेगा। कांग्रेस इसे केवल चुनावी कार्यक्रम नहीं बल्कि देश की आत्मा को जोड़ने का प्रयास बता रही है।

रणनीतिक और संगठनात्मक मजबूती
पदयात्रा को सफल बनाने के लिए कांग्रेस ने 30 जिलों में कोऑर्डिनेटर नियुक्त किए हैं, जो अपने क्षेत्र में यात्रा मार्ग, जनसभाओं और कार्यकर्ताओं की भागीदारी का प्रबंधन करेंगे। महागठबंधन ने इस यात्रा का रूट इस तरह तय किया है कि सासाराम, आरा, बक्सर और काराकाट जैसे क्षेत्रों में राजनीतिक प्रभाव बढ़ाया जा सके। यहां पहले से राजद, माले और कांग्रेस के निर्वाचित प्रतिनिधि मौजूद हैं, जिससे संगठन को मजबूती मिलती है। पार्टी का लक्ष्य है कि यात्रा के अंत तक बिहार में विपक्षी एकजुटता और जनता का भरोसा, दोनों मजबूत हो जाएं।

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