Tuesday, August 26, 2025

“अलास्का बैठक के बाद पुतिन का बड़ा बयान: अगर 2022 में ट्रंप होते राष्ट्रपति तो नहीं छिड़ता रूस-यूक्रेन युद्ध”

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Hemant Raushan
Hemant Raushan
Delhi-based content writer at The Rajdharma News, with 5+ years of UPSC CSE prep experience. I cover politics, society, and current affairs with a focus on depth, balance, and fact-based journalism.

Alaska Meeting News: अलास्का में हुई बैठक के बाद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि अगर 2022 में डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति होते तो रूस-यूक्रेन युद्ध कभी नहीं छिड़ता। पुतिन का दावा है कि उन्होंने उस समय राष्ट्रपति जो बाइडेन को समझाने की कोशिश की थी कि हालात को बिगड़ने से रोका जाए, लेकिन उनकी बात नहीं मानी गई। पुतिन का कहना है कि अब ट्रंप के साथ बातचीत आगे बढ़ाकर जंग को रोका जा सकता है और यह कदम जितनी जल्दी उठाया जाएगा उतना ही अच्छा होगा। उन्होंने साफ कहा कि रूस की सुरक्षा उनके लिए सबसे अहम है और किसी भी बातचीत का यही आधार रहेगा।

अमेरिका-रूस रिश्तों में सुधार का संकेत

बैठक के बाद पुतिन ने माना कि बीते कुछ साल अमेरिका और रूस के रिश्तों के लिए बेहद कठिन रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछला दौर दोनों देशों के लिए चुनौती भरा रहा और अब संबंधों को सुधारना जरूरी है। पुतिन ने ट्रंप को खुले दिल से हुई बातचीत और सहयोग के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि अमेरिका और रूस के बीच भरोसा फिर से बहाल करना समय की जरूरत है। पुतिन का मानना है कि इस तरह की मुलाकातें न केवल जंग रोकने का रास्ता खोल सकती हैं बल्कि दोनों देशों के रिश्तों को भी नए सिरे से मजबूत बना सकती हैं। यही वजह है कि उन्होंने ट्रंप के साथ बातचीत को सकारात्मक बताया और भविष्य में इसे आगे बढ़ाने की उम्मीद जताई।

मॉस्को में अगली बैठक का प्रस्ताव

पुतिन ने इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में अगली मुलाकात मॉस्को में करने का प्रस्ताव भी रखा। उन्होंने कहा कि यह फैसला कुछ लोगों को पसंद नहीं आएगा और आलोचना भी हो सकती है, लेकिन बातचीत के लिए दरवाज़ा खुला रहना चाहिए। ट्रंप ने भी इस संभावना को पूरी तरह नकारा नहीं और कहा कि यह संभव हो सकता है। पुतिन ने कहा कि महासागरों से अलग होने के बावजूद रूस और अमेरिका असल में पड़ोसी हैं क्योंकि दोनों देशों के बीच की दूरी सिर्फ चार किलोमीटर है। उन्होंने हल्के अंदाज में कहा कि जब उन्होंने हवाई अड्डे पर ट्रंप से हाथ मिलाया तो उनसे ‘नमस्ते पड़ोसी’ कहा।

अलास्का और साझा विरासत की चर्चा

रूसी राष्ट्रपति ने अलास्का के इतिहास को भी याद किया। उन्होंने कहा कि यह इलाका 158 साल पहले रूस का हिस्सा हुआ करता था। पुतिन ने अमेरिकी राज्य में मौजूद रूसी ऑर्थोडॉक्स चर्चों का जिक्र करते हुए कहा कि यह साझा सांस्कृतिक विरासत दोनों देशों के बीच बराबरी और आपसी फायदे वाले रिश्ते को मजबूत करने में मदद कर सकती है। उनका कहना था कि अगर इतिहास और संस्कृति के इन संबंधों को समझा जाए तो दोनों देशों को करीब लाने में कोई मुश्किल नहीं है। पुतिन ने इस मौके पर यह भी संकेत दिया कि रिश्तों को टकराव की बजाय सहयोग की ओर ले जाना ही सबसे बेहतर रास्ता है।

यूरोपीय नेताओं को शांति प्रक्रिया से दूर रहने की सलाह

पुतिन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में यूरोप और यूक्रेन की भूमिका पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि शांति प्रक्रिया में यूरोपीय नेताओं को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। पुतिन ने आशंका जताई कि पर्दे के पीछे से कुछ ताकतें बातचीत को बाधित करने की कोशिश कर सकती हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि यूक्रेन और यूरोपीय देश इस वार्ता को समझेंगे और कोई बाधा नहीं डालेंगे। पुतिन ने यह भी कहा कि वह और ट्रंप पहले कई बार फोन पर खुलकर बात कर चुके हैं और ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ के जरिए संवाद लगातार चलता रहा है। इसी भरोसे को अब यूक्रेन संकट खत्म करने की दिशा में आगे बढ़ाया जा सकता है।

युद्ध की असली वजहें खत्म करना जरूरी – पुतिन

पुतिन ने कहा कि उनकी बातचीत का सबसे बड़ा मुद्दा यूक्रेन में चल रही जंग ही रही। उन्होंने साफ कहा कि स्थायी और लंबे समय तक टिकने वाला समझौता तभी संभव है जब युद्ध की असली वजहों को खत्म किया जाएगा। हालांकि उन्होंने इन वजहों का खुलासा नहीं किया, लेकिन उनका संकेत था कि बिना गहराई से मुद्दों को समझे शांति कायम नहीं हो सकती। पुतिन का मानना है कि ट्रंप के साथ बातचीत इस दिशा में ठोस कदम साबित हो सकती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि जितनी जल्दी शांति बहाल होगी उतना ही रूस, अमेरिका और पूरी दुनिया के लिए बेहतर होगा।

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