Politics:बिहार में विधानसभा चुनाव की तैयारी लगभग हो चुकी है. चुनाव आयोग के घोषणा के बाद सभी दलों ने उम्मीदवारों की लिस्ट सार्वजानिक करना शुरु कर दिया लेकिन मायावती से उत्तरप्रदेश में शियासत का तापमान बढ़ा दिया है. लखनऊ में मायावती द्वारा कांशीराम के पुण्यतिथि पर एक विशाल कार्यक्रम आयोजित किया दावा किया जा रहा की मायावती के इस कार्यक्रम में 05 लाख की सांख्या में लोग मौजूद रहें. इस रैली में मायावती ने साफ किया की वों 2027 का विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने वाली है. मायावती ने सत्ताधारी पार्टी बीजेपी की तारीफ करते नजर आयी वहीं सपा कांग्रेस पर जमकर हमला बोला है.

मायावती 2027 में अकेले लड़ेगी विधानसभा चुनाव!
मायावती ने आज लखनऊ में आयोजित कांशीराम पुण्यतिथि कार्यक्रम में यह स्पष्ट किया कि वों 2027 का उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव बसपा अकेले लड़ेगी. कुल मिलाकर 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव में बसपा का गठबंधन किसी राजनितिक दल से नहीं होगा. मायावती ने कहा कि बसपा ने 2012 में अकेले चुनाव लड़ा था और उन्हें क़ामयाबी भी मिली थी उत्तरप्रदेश में पहली बार बसपा कि पूर्ण बहुतम कि सरकार बनी थी. मायावती ने कहा कि गठबंधन करने पर दुसरो दलों के वोटबैंक का फायदा उन्हें नहीं होता जबकि बसपा का वोट दूसरे दलों में ट्रांसफर हो जाता है.

सपा और कांग्रेस का रवैया जातिवादी व द्वेषपूर्ण है:मायावती
मायावती में अपने ट्विटर अकाउंट से एक लंबा चौड़ा ट्वीट करते हुए सपा कांग्रेस कों जमकर घेरा उन्होंने लिखा कि
देश में जातिवादी व्यवस्था के शिकार करोड़ों दलित, आदिवासी व अन्य पिछड़े बहुजनों को शोषित से शासक वर्ग बनाने के बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के मिशनरी आत्म-सम्मान व स्वाभिमान मूवमेन्ट के कारवाँ को ज़िन्दा करके उसे नई गति प्रदान करने वाले बहुजन समाज पार्टी (बी.एस.पी.) के जन्मदाता एवं संस्थापक मान्यवर श्री कांशीराम जी के प्रति विरोधी पार्टियों में भी ख़ासकर समाजवादी पार्टी व कांग्रेस आदि इन पार्टियों का रवैया हमेशा से घोर जातिवादी एवं द्वेषपूर्ण रहा है,जो कि सर्वविदित है,इसीलिये आगामी 9 अक्टूबर को उनके परिनिर्वाण दिवस पर संगोष्ठी आदि करने का सपा प्रमुख की घोषणा घोर छलावा व लोगों को स्पष्टतः इनके मुँह में राम बग़ल में छुरी की कहावत को चरितार्थ करने वाला ज्यादा लगता है.

समाजवादी पार्टी पर जमकर भड़की मायावती
मायावती ने आगे लिखा कि सपा ने ना केवल मान्यवर श्री कांशीराम जी के जीते-जी उनके पार्टी के साथ दग़ा करके उनके मूवमेन्ट को यूपी में कमज़ोर करने की लगातार कोशिशें कीं हैं, बल्कि बी.एस.पी. सरकार द्वारा दिनांक 17 अप्रैल सन् 2008 को अलीगढ़ मण्डल के अन्तर्गत कासगंज को ज़िला मुख्यालय का दर्जा देकर कांशीराम नगर के नाम से बनाये गये नये ज़िला के नाम को भी जातिवादी सोच व राजनीतिक द्वेष के कारण बदल दिया. इसके अलावा, बहुजनों को शासक वर्ग बनाने के क्रम में यूपी में बी.एस.पी. की सरकार बनाने के उनके अनवरत प्रयास जैसे बेमिसाल योगदान के लिये उनके आदर-सम्मान में मान्यवर श्री कांशीराम जी के नाम से अन्य और भी जो कई विश्वविद्यालय कालेज,अस्पताल व अन्य संस्थायें आदि बनाये गये उनमें से भी अधिकतर का नाम सपा सरकार द्वारा बदल दिया जाना इनकी घोर दलित विरोधी चाल, चरित्र व चेहरा नहीं तो और क्या है?

मायावती से सपा कांग्रेस से लोगों कों किया सावधान
मायावती से आगे लिखा कि इतना ही नहीं बल्कि उनके देहान्त होने पर पूरा देश व ख़ासकर उत्तर प्रदेश शोकाकुल था, फिर भी सपा सरकार ने यूपी में एक दिन का भी राजकीय शोक घोषित नहीं कियाा। इसी प्रकार कांग्रेस पार्टी की तब केन्द्र में रही सरकार ने भी उनके देहान्त पर एक दिन का भी राष्ट्रीय शोक घोषित नहीं किया था. लेकिन फिर भी समय-समय पर संकीर्ण राजनीति व वोटों के स्वार्थ की ख़ातिर सपा व कांग्रेस आदि द्वारा मान्यवर श्री कांशीराम जी को स्मरण करना विशुद्व दिखावा व छलावा का प्रयास किया जाता रहा है. इस प्रकार की गलत जातिवादी व संकीर्ण सोच वाली सपा, कांग्रेस आदि पार्टियों से लोग ज़रूर सजग व सावधान रहें.
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