New Delhi: अलास्का बैठक के बाद रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन किया। यह हफ्ते भर में दूसरी बार था जब दोनों नेताओं ने टेलीफोन पर बातचीत की। पुतिन ने मोदी को विस्तार से बताया कि उनकी और ट्रंप की मुलाकात में क्या मुद्दे उठे और किन पर आंशिक प्रगति हुई। इस पर पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “मैं अपने मित्र राष्ट्रपति पुतिन का आभार व्यक्त करता हूं। उन्होंने फोन कर अलास्का बैठक के बारे में जानकारी दी। भारत हमेशा यूक्रेन संघर्ष का शांतिपूर्ण समाधान चाहता है और इस दिशा में होने वाले सभी प्रयासों का समर्थन करता है।”
15 अगस्त: अलास्का में ट्रंप-पुतिन की मुलाकात
15 अगस्त को अमेरिका के अलास्का में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच अहम बैठक हुई। इस मुलाकात में रूस-यूक्रेन युद्ध पर चर्चा केंद्र में रही। बातचीत कई घंटों तक चली लेकिन किसी ठोस नतीजे पर सहमति नहीं बनी। ट्रंप ने कहा, “हम कुछ बिंदुओं पर सहमत हुए हैं”, वहीं पुतिन ने माना, “कई बड़े मुद्दे ऐसे हैं जिन पर अभी भी मतभेद बने हुए हैं।” यह मुलाकात इसलिए चर्चा में रही क्योंकि लंबे समय बाद दोनों नेताओं ने खुले तौर पर शांति समाधान पर बातचीत की।

17 अगस्त: मीडिया रिपोर्ट्स ने बढ़ाई हलचल
दो दिन बाद, 17 अगस्त को इंटरनेशनल मीडिया ने इस बैठक से जुड़ी चौंकाने वाली जानकारियां सामने रखीं। द गार्जियन की रिपोर्ट में दावा किया गया कि पुतिन ने ट्रंप से यूक्रेन के दो शहर—दोनेत्स्क और लुहान्स्क—अपने पास रखने की मांग की। शर्त यह रखी गई थी कि अगर यूक्रेन वहां से सेना हटा ले, तो रूस युद्ध खत्म करने को तैयार होगा और सीमावर्ती इलाकों पर हमले रोक देगा। हालांकि, ट्रंप और पुतिन के बीच इस प्रस्ताव पर सहमति नहीं बन पाई। इस खबर ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी।

भारत का शांति पर जोर और पुराना स्टैंड
फोन कॉल के दौरान पीएम मोदी ने एक बार फिर भारत का पुराना रुख दोहराया। उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन विवाद का हल केवल संवाद और कूटनीति से ही निकाला जा सकता है। भारत पहले भी कई मौकों पर यह संदेश देता आया है कि वह शांति बहाली के लिए हरसंभव योगदान देने को तैयार है। मोदी के इस बयान से भारत की “शांति पहल” पर दुनिया का ध्यान फिर से गया। यह भी साफ हुआ कि भारत अब केवल दर्शक नहीं बल्कि सक्रिय मध्यस्थ की भूमिका निभा सकता है।

द्विपक्षीय रिश्तों और भविष्य की मीटिंग्स
मोदी और पुतिन की इस बातचीत में केवल यूक्रेन संकट ही नहीं, बल्कि भारत-रूस रिश्तों पर भी चर्चा हुई। दोनों नेताओं ने रक्षा, ऊर्जा और तकनीकी सहयोग जैसे मुद्दों पर विचार किया। हाल ही में एनएसए अजीत डोभाल और विदेश मंत्री एस. जयशंकर का रूस दौरा भी इसी क्रम का हिस्सा था। इसके अलावा, इस महीने चीन में होने वाली शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) बैठक में भी दोनों नेताओं के मिलने की संभावना है। साल के अंत तक पुतिन की भारत यात्रा और शिखर बैठक तय मानी जा रही है।

आगे की संभावनाओं पर दुनिया की नजर
मोदी-पुतिन बातचीत के कुछ ही घंटों बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से मिलने वाले थे। माना जा रहा है कि यह मुलाकात युद्ध समाधान की दिशा में अहम साबित हो सकती है। हालांकि, इसी तरह की उम्मीदें अलास्का में ट्रंप-पुतिन बैठक से भी थीं, लेकिन वहां सहमति नहीं बन पाई। अब सबकी निगाहें इस बात पर हैं कि क्या भारत की शांति पहल और भविष्य की कूटनीतिक कोशिशें रूस-यूक्रेन युद्ध को किसी निष्कर्ष तक पहुंचा पाएंगी। फिलहाल, दुनिया इस घटनाक्रम को बारीकी से देख रही है।

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