Sunday, December 7, 2025

PM मोदी का चीन दौरा 2025: शी जिनपिंग और पुतिन से मुलाकात क्यों मानी जा रही है रणनीतिक रूप से अहम

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Hemant Raushan
Hemant Raushan
Delhi-based content writer at The Rajdharma News, with 5+ years of UPSC CSE prep experience. I cover politics, society, and current affairs with a focus on depth, balance, and fact-based journalism.

PM Modi China visit: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस समय चीन के तियानजिन शहर में हैं, जहां वह शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं। यह यात्रा कई मायनों में खास है क्योंकि मोदी सात साल बाद चीन की धरती पर पहुंचे हैं। सम्मेलन से ठीक पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने मोदी से फोन पर बात की। इस बातचीत में भारत ने साफ कहा कि वह यूक्रेन युद्ध खत्म करने के सभी प्रयासों का समर्थन करता है। मोदी ने जेलेंस्की से कहा कि भारत शांति और स्थिरता बहाल करने के लिए हर संभव सहयोग देगा। यह मुलाकात ऐसे समय हो रही है जब दुनिया की निगाहें तियानजिन सम्मेलन पर टिकी हैं। एक ही मंच पर भारत, चीन और रूस के शीर्ष नेता मौजूद होंगे और यह वैश्विक राजनीति के लिए अहम संदेश माना जा रहा है।

चीन से संबंध सुधारने की दिशा में पीएम मोदी का कदम

मोदी की यह चीन यात्रा ऐसे समय हो रही है जब दोनों देशों के बीच हाल ही में कुछ सकारात्मक संकेत देखने को मिले हैं। जून 2020 की गलवन घाटी झड़पों के बाद से रिश्तों में तनाव रहा है, लेकिन अब भारत और चीन संवाद बहाल करने की कोशिश कर रहे हैं। हाल ही में चीनी विदेश मंत्री वांग ई भारत आए थे और उन्होंने विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से बातचीत की थी। दोनों देशों ने सीमा पर शांति बनाए रखने, व्यापारिक संबंध फिर से शुरू करने और सीधी उड़ानें बहाल करने पर सहमति जताई। मोदी का यह दौरा संकेत देता है कि भारत संबंधों को पटरी पर लाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन अपनी सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों पर समझौता किए बिना। यह संदेश न केवल चीन बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए भी अहम है।

पीएम मोदी और शी जिनपिंग की संभावित मुलाकात

इस सम्मेलन का सबसे बड़ा आकर्षण मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की संभावित द्विपक्षीय बैठक है। यह बातचीत ऐसे समय हो सकती है जब अमेरिका ने भारत और चीन दोनों पर भारी-भरकम टैरिफ लगाए हैं और वैश्विक व्यापार तनाव की स्थिति में है। दोनों नेता व्यापार, निवेश और रणनीतिक मुद्दों पर चर्चा कर सकते हैं। भारत के लिए यह मुलाकात इसलिए भी अहम है क्योंकि पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद अब भी पूरी तरह सुलझा नहीं है। ऐसे में अगर बातचीत में कोई ठोस पहल होती है तो यह दोनों देशों के संबंधों में नई शुरुआत का संकेत दे सकती है।

पुतिन और अन्य नेताओं से बातचीत की तैयारी

तियानजिन सम्मेलन सिर्फ भारत-चीन संबंधों तक सीमित नहीं है। यहां रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी मौजूद हैं और मोदी की उनसे भी अलग बैठक होने की संभावना है। रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच भारत की भूमिका वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण हो गई है। मोदी ने बार-बार कहा है कि भारत शांति की दिशा में हर प्रयास का समर्थन करेगा। मोदी ने सोशल मीडिया पर लिखा – “तियानजिन, चीन में उतरा। एससीओ शिखर सम्मेलन में विचार-विमर्श और विश्व नेताओं से मुलाकात का इंतजार है।” यह संदेश स्पष्ट करता है कि भारत सिर्फ एक सहभागी नहीं, बल्कि एक सक्रिय और जिम्मेदार वैश्विक शक्ति के रूप में अपनी भूमिका निभाना चाहता है।

चीन दौरे को क्यों माना जा रहा है रणनीतिक रूप से अहम

मोदी की चीन यात्रा इसलिए भी रणनीतिक है क्योंकि यह ऐसे समय हो रही है जब वैश्विक आर्थिक व्यवस्था बड़े बदलाव से गुजर रही है। भारत और चीन दोनों ही विकासशील देशों की आवाज़ को मजबूती देने पर जोर दे रहे हैं। मोदी ने कहा भी था कि “वैश्विक आर्थिक स्थिरता के लिए भारत और चीन का मिलकर काम करना बेहद जरूरी है।” एससीओ मंच भारत के लिए अपनी कूटनीतिक रणनीति मजबूत करने का अवसर है। यहां भारत रूस और चीन दोनों के साथ अपने संबंधों को संतुलित करने की कोशिश कर रहा है। यही कारण है कि इस दौरे को न केवल भारत-चीन रिश्तों बल्कि पूरे एशियाई भू-राजनीतिक परिदृश्य में अहम माना जा रहा है।

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