Opposition Meeting: संसद भवन परिसर में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के दफ्तर में विपक्षी दलों की अहम बैठक हुई। इस बैठक में मुख्य चुनाव आयुक्त पर महाभियोग प्रस्ताव लाने को लेकर गहन चर्चा हुई। सूत्रों के मुताबिक, INDIA गठबंधन के नेताओं ने माना कि बिहार में चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के बहाने मतदाता सूची में गड़बड़ी की जा रही है। विपक्ष ने आरोप लगाया कि मतदाताओं के नाम काटकर चुनावी संतुलन बिगाड़ने की कोशिश हो रही है। इसी संदर्भ में विपक्षी दलों ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया की रक्षा के लिए एकजुट होकर अगला कदम उठाने का संकेत दिया।

बिहार से उठे विवाद पर विपक्ष का हमला
बिहार में वोट चोरी और वोटर लिस्ट से नाम गायब होने के मामले ने विपक्ष को आक्रामक कर दिया है। विपक्षी दलों का कहना है कि यह लोकतंत्र के अधिकारों पर सीधा हमला है। INDIA गठबंधन ने इस मुद्दे को उठाते हुए चुनाव आयोग के रवैये पर सवाल खड़े किए। उनका आरोप है कि आयोग ने शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया। बैठक में कई नेताओं ने कहा कि अगर जनता का विश्वास मतदाता सूची से ही खत्म हो गया तो लोकतांत्रिक प्रणाली कमजोर हो जाएगी। इसलिए अब विपक्ष ने मुख्य चुनाव आयुक्त पर महाभियोग लाने की तैयारी शुरू कर दी है।

संसद परिसर में INDIA गठबंधन का प्रदर्शन
बैठक के बाद विपक्षी सांसदों ने संसद परिसर में प्रदर्शन किया। INDIA ब्लॉक के नेताओं ने हाथों में पोस्टर और तख्तियां लेकर नारे लगाए और बीजेपी पर सीधा हमला बोला। उनका कहना था कि बीजेपी चुनाव आयोग का सहारा लेकर चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करना चाहती है। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने यहां तक कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने विपक्ष से सवाल तो किए, लेकिन वही सवाल बीजेपी से पूछने की हिम्मत नहीं दिखाई। विपक्ष का आरोप है कि आयोग के इस रवैये से उसकी निष्पक्ष छवि धूमिल हो रही है।

महाभियोग प्रस्ताव की प्रक्रिया और चुनौतियां
संविधान के अनुसार किसी भी मुख्य चुनाव आयुक्त पर महाभियोग तभी लाया जा सकता है जब संसद के दोनों सदनों में विशेष बहुमत से प्रस्ताव पास हो। यानी कुल सांसदों में से आधे से ज्यादा का समर्थन और सदन के दो-तिहाई सदस्यों का मत जरूरी है। विपक्ष जानता है कि संख्या बल उसके पक्ष में नहीं है, लेकिन वह इस कदम को जनता के बीच एक मजबूत संदेश के तौर पर देख रहा है। कांग्रेस सांसद सैयद नासिर हुसैन ने कहा कि औपचारिक निर्णय अभी नहीं हुआ है, लेकिन जरूरत पड़ी तो कांग्रेस नियमों के तहत महाभियोग प्रस्ताव ला सकती है।

चुनाव आयोग की सफाई और विपक्ष की प्रतिक्रिया
चुनाव आयोग ने 17 अगस्त को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर विपक्ष के आरोपों का जवाब दिया था। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि आयोग सभी राजनीतिक दलों के साथ समान व्यवहार करता है और किसी के पक्ष में नहीं है। उनका कहना था कि हर पार्टी का जन्म चुनाव आयोग में पंजीकरण से होता है, इसलिए आयोग सभी को समान मानता है। हालांकि, विपक्ष का कहना है कि प्रेस कॉन्फ्रेंस करके CEC ने संवैधानिक पद की गरिमा को कम किया और बीजेपी के सवालों पर चुप्पी साधकर पक्षपात दिखाया।
आगे की रणनीति और बढ़ता सियासी टकराव
विपक्ष ने यह भी साफ किया है कि लड़ाई केवल संसद तक सीमित नहीं रहेगी। INDIA गठबंधन इस मुद्दे को जनता के बीच ले जाकर बड़े आंदोलन की तैयारी कर रहा है। विपक्षी दलों का कहना है कि अगर मतदाता सूची और चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर भरोसा डगमगाया, तो लोकतंत्र की जड़ें कमजोर होंगी। इसी वजह से मुख्य चुनाव आयुक्त पर महाभियोग की चर्चा सिर्फ कानूनी कदम नहीं, बल्कि राजनीतिक और नैतिक लड़ाई भी बन चुकी है। आने वाले दिनों में यह विवाद संसद और सड़कों दोनों जगह बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकता है।

ये भी पढ़ें: वोट चोरी पर राहुल गांधी का बड़ा हमला: ‘देश के गुनहगारों को मिलेगी सजा’, BJP-EC पर सीधे आरोप