Lalu yadav:बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले एक नाम चर्चा के केंद्र में बना हुआ है. सबकी नजर हैं कि राजद प्रमुख लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव का अगला कदम क्या होने वाला है. दरअसल कुछ महीनों पहले ही तेज प्रताप को पार्टी व परिवार से 6 वर्षो के लिए लालू यादव ने निष्कासित कर दिया था. जिसके बाद यह चर्चा हुई कि क्या तेज प्रताप कोई अपना नया संगठन बनायेगे फिर बाद उन्हीने कई मीडिया इंटरव्यू में साफ किया कि तेज प्रताप किसी नए संगठन के बारे में नहीं सोच रहें है. हाल ही में तेज प्रताप महुआ में चुनावी बैठक किया अस्पताल का दौरा किया यह भी कहा कि अगर यहां कि जनता चाहती है तो यही से चुनाव लड़ूंगा.

तेज प्रताप यादव ने महुआ के जनता से क्या कहा
लालू यादव के बड़े सुपुत्र पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव ने पार्टी व परिवार से अलग होने के बाद गुरुवार को महुआ विधानसभा क्षेत्र में पहुचे जहां उन्होंने अपने समर्थको से मुलाक़ात कि तथा कहा कि अगर महुआ की जनता रूपी भगवान का आदेश होगा, तो मैं महुआ विधानसभा से ही चुनाव लड़ूंगा. चुनाव लड़ने कि बात तो तेज प्रताप कर रहें है पर यह नहीं स्पष्ट किये कि वे किस पार्टी से चुनाव लड़ेंगे. आगे उन्होंने कहा कि महुआ की जनता से वादा किया था, जो अब पूरा होने वाला है.

तेज प्रताप ने जनता को अस्पताल निर्माण का भरोसा दिया
तेज प्रताप ने अस्पताल निर्माण को लेकर स्पष्ट किया कि यह काम जल्दी होना चाहिए साथ कि उन्होंने जनता को भरोसा दिया कि अस्पताल का काम आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित रहेगा.पूर्व मंत्री ने कहा कि निर्माण कार्य गुणवत्ता के साथ और समय पर पूरा हो. यह अस्पताल अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित होगा. उन्होंने आगे कहा कि इसमें चिकित्सा शिक्षा के साथ-साथ ओपीडी, आईपीडी, इमरजेंसी सेवा, आधुनिक ऑपरेशन थिएटर, लैबोरेटरी और अन्य महत्वपूर्ण सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी.

तेज प्रताप कों पार्टी व परिवार से क्यों निकाला गया?
तेज प्रताप यादव कों लालू यादव ने राजद से 6 बर्षो के लिए निष्कासित कर दिया है. दरअसल तेज प्रताप यादव से सोशल मीडिया अकाउंट से पिछले महीने एक तस्वीर पोस्ट कि गयी जिसमे अनुष्का यादव नाम कि एक लड़की के साथ तेज प्रताप दिख रहें थे.पोस्ट में यह दावा किया गया कि इन दोनों का 12 वर्षो का रिलेशनशिप है हालांकि बाद में तेज प्रताप से अकाउंट से यह सफाई दी गयी कि उनका एकाउंट हैक कर लिया गया था जब तक बात आगे निकल चुकी थी. उसके कुछ ही दिनों बाद लालू ने यह फैसला लिया था.
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