Monday, August 25, 2025

हसनपुर सीट पर नया चेहरा खोज रही राजद, तेज प्रताप के बाद कौन होगा उम्मीदवार?

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Hemant Raushan
Hemant Raushan
Delhi-based content writer at The Rajdharma News, with 5+ years of UPSC CSE prep experience. I cover politics, society, and current affairs with a focus on depth, balance, and fact-based journalism.

Bihar Politics: समस्तीपुर जिले की हसनपुर सीट पर राजनीति का नया मोड़ आ चुका है। राजद ने विधायक तेज प्रताप यादव को निष्कासित कर दिया है और अब यह साफ है कि आगामी चुनाव में उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया जाएगा। यह सीट यादव बाहुल्य मानी जाती है और पार्टी को यहाँ एक नए, साफ-सुथरे उम्मीदवार की तलाश है। 2020 विधानसभा चुनाव में तेज प्रताप ने जदयू प्रत्याशी को 21 हजार से ज्यादा मतों से हराया था। अब सवाल यही है कि अगली बार इस सीट से राजद किस पर दांव लगाएगी।

हसनपुर सीट पर यादव समाज का दबदबा

हसनपुर सीट का चुनावी इतिहास बताता है कि यहां से अधिकतर यादव उम्मीदवार ही विजयी रहे हैं। राजेंद्र यादव, गजेंद्र प्रसाद हिमांशु और सुनील कुमार पुष्पम जैसे दिग्गज नेता इस क्षेत्र से विधायक बन चुके हैं। गजेंद्र प्रसाद हिमांशु ने मंत्री से लेकर विधानसभा उपाध्यक्ष तक का सफर तय किया था। यही कारण है कि इस सीट पर यादव समाज की भूमिका हमेशा अहम रही है। राजद के लिए चुनौती है कि वह ऐसे चेहरे को सामने लाए जो समाज के साथ-साथ पार्टी के अंदर भी स्वीकार्य हो।

हसनपुर सीट से संभावित राजद उम्मीदवार

राजद के पास इस बार कई दावेदार मौजूद हैं। इनमें पूर्व विधायक सुनील कुमार पुष्पम का नाम प्रमुख है, जिन्होंने अतीत में यहां जीत दर्ज की है। इसके अलावा रामनारायण मंडल, विभा देवी और ललन यादव भी रेस में माने जा रहे हैं। हर नेता अपनी पकड़ और जनाधार का दावा कर रहा है। पार्टी अब इन नामों में से किसी एक पर सर्वसम्मति बनाने की कोशिश कर रही है। हसनपुर सीट राजद उम्मीदवार को लेकर जो भी निर्णय होगा, वह पूरे जिले की राजनीति पर असर डालेगा।

2020 चुनाव का समीकरण और तेज प्रताप की जीत

हसनपुर विधानसभा 2020 चुनाव में मुकाबला मुख्य रूप से राजद के तेज प्रताप यादव और जदयू के राजकुमार राय के बीच था। तेज प्रताप को 80,991 वोट मिले जबकि राजकुमार राय को 59,852 वोट हासिल हुए। जाप के अर्जुन प्रसाद यादव और लोजपा के मनीष कुमार सहनी भी मैदान में थे, लेकिन मुख्य जंग राजद और जदयू के बीच ही रही। तेज प्रताप की जीत ने राजद को मजबूती दी थी, लेकिन अब उनके निष्कासन के बाद नए समीकरण बनने तय हैं। यही वजह है कि हसनपुर सीट राजद उम्मीदवार की खोज राजनीतिक हलचल बढ़ा रही है।

विधानसभा का पुराना इतिहास और बड़े चेहरे

हसनपुर विधानसभा का गठन 1967 में हुआ था और यहां से पहली जीत गजेंद्र प्रसाद हिमांशु ने दर्ज की थी। उन्होंने लगातार कई चुनाव जीते और इस सीट पर लंबा दबदबा कायम रखा। बाद में उनके भतीजे सुनील कुमार पुष्पम ने भी लगातार जीत हासिल की। 14 विधानसभा चुनावों में सात बार गजेंद्र प्रसाद हिमांशु, तीन बार उनके भतीजे, दो बार जदयू के राजकुमार राय और एक-एक बार राजेंद्र यादव तथा तेज प्रताप यादव विजयी रहे। यह इतिहास बताता है कि हसनपुर की राजनीति में स्थानीय परिवारों और यादव समाज का वर्चस्व रहा है।

आगे क्या होगा राजद का अगला कदम

तेज प्रताप यादव के हटने के बाद राजद के सामने यह तय करना आसान नहीं होगा कि किसे उम्मीदवार बनाया जाए। पार्टी को एक ऐसे चेहरे की तलाश है जो न केवल हसनपुर सीट पर जीत दिला सके बल्कि पूरे क्षेत्र में पार्टी की पकड़ भी मजबूत करे। यादव बाहुल्य जनसंख्या को देखते हुए उम्मीदवार भी इसी समाज से होने की संभावना अधिक है। अब देखना यह है कि पार्टी किस नाम पर भरोसा जताती है और क्या नया चेहरा जनता को आकर्षित कर पाएगा। आने वाले चुनाव में यह निर्णय हसनपुर की राजनीति को नई दिशा देगा।

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