Sunday, December 7, 2025

ज्ञान भारतम् मिशन सम्मेलन: पीएम मोदी ने भारतीय पांडुलिपियों के संरक्षण पर दिया जोर

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Hemant Raushan
Hemant Raushan
Delhi-based content writer at The Rajdharma News, with 5+ years of UPSC CSE prep experience. I cover politics, society, and current affairs with a focus on depth, balance, and fact-based journalism.

PM Modi: नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित ज्ञान भारतम् मिशन सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह मिशन केवल पांडुलिपियों को बचाने का प्रयास नहीं है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक चेतना और साहित्य का वैश्विक उदघोष है। पीएम मोदी ने स्पष्ट किया कि इस पहल का उद्देश्य केवल किताबों या ग्रंथों को संरक्षित करना नहीं है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को उनकी जड़ों से जोड़ना और दुनिया को भारत की विद्या की चमक दिखाना है। उन्होंने कहा कि जैसे भारत ने योग और आयुर्वेद के माध्यम से दुनिया को अपनी प्राचीन धरोहरों से परिचित कराया, वैसे ही अब पांडुलिपियों के जरिए भी भारत का असली स्वरूप पूरी दुनिया के सामने आएगा। उन्होंने कहा, “ज्ञान भारतम् मिशन केवल धरोहर को संरक्षित करने का कार्य नहीं है, बल्कि यह हमारी संस्कृति और विचारों का वैश्विक संदेश है।”

पांडुलिपियों के डिजिटलीकरण से रुकेगी पाइरेसी

प्रधानमंत्री ने सम्मेलन के दौरान इस बात पर जोर दिया कि पांडुलिपियों का डिजिटलीकरण भारत की एक बड़ी आवश्यकता है। इसके जरिए न केवल इन्हें भविष्य के लिए सुरक्षित रखा जा सकेगा बल्कि इनके गलत उपयोग और पायरेसी पर भी रोक लगाई जा सकेगी। उन्होंने बताया कि अब तक भारत सरकार ने कई देशों से बिखरी हुई धरोहरों को वापस लाने का काम शुरू किया है। मंगोलिया, रूस और जापान जैसे देश इस पहल में सहयोग कर रहे हैं। पीएम मोदी ने कहा कि कई देशों ने बिना किसी दबाव या शर्त के भारतीय धरोहरें वापस की हैं क्योंकि उन्हें भरोसा है कि भारत इन्हें सुरक्षित रखेगा। उन्होंने यह भी बताया कि इन पांडुलिपियों को डिजिटल रूप में आम जनता के सामने लाने से नई पीढ़ी को भी यह समझने का मौका मिलेगा कि भारत की असली ताकत उसके ज्ञान में है।

दुनिया से लौट रही भारतीय धरोहरें

अपने संबोधन में पीएम मोदी ने बताया कि अब तक 600 से अधिक प्राचीन धरोहरें दुनिया के अलग-अलग देशों से वापस लाई जा चुकी हैं। इनमें से अकेले अमेरिका से 559 धरोहरें भारत लौटाई गई हैं। उन्होंने कहा कि ये आंकड़े यह साबित करते हैं कि वैश्विक स्तर पर भारत के प्रति विश्वास लगातार बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि पांडुलिपियों का संरक्षण न केवल भारत की सांस्कृतिक ताकत को दिखाएगा बल्कि दुनिया को यह भी बताएगा कि विभिन्न विषयों पर मूल ज्ञान कहां से शुरू हुआ। उन्होंने कहा, “इतिहास के क्रूर थपेड़ों में लाखों पांडुलिपियां जलाई गईं, पर आज भी करोड़ों पांडुलिपियां मौजूद हैं, जो हमारे ज्ञान और विज्ञान की साक्षी हैं।” पीएम मोदी ने जोर दिया कि इन ग्रंथों को वापस लाकर और संरक्षित करके भारत एक बार फिर ज्ञान की वैश्विक राजधानी बनने की ओर बढ़ रहा है।

भारत का इतिहास विचारों और मूल्यों का प्रवाह

पीएम मोदी ने इस मौके पर यह भी कहा कि भारत का इतिहास केवल सल्तनतों की जीत-हार की कहानियों तक सीमित नहीं है। उन्होंने कहा कि भले ही सदियों में राज्यों और रियासतों के भूगोल बदले हों, लेकिन भारत हिमालय से हिंद महासागर तक हमेशा अक्षुण्ण रहा है। उन्होंने कहा कि भारत की ताकत उसकी विचारधारा, आदर्शों और मूल्यों में है। इन पांडुलिपियों में दर्शन, खगोल विज्ञान, संगीत, नाट्य, चिकित्सा और संस्कृति जैसे अनगिनत विषय दर्ज हैं। यह केवल भारत के लिए ही नहीं बल्कि पूरी मानवता की विकास यात्रा के लिए एक अमूल्य धरोहर है। प्रधानमंत्री ने कहा कि पांडुलिपियां इस बात की गवाह हैं कि हमारे पूर्वजों ने ज्ञान और पठन-पाठन के प्रति कितनी गहरी निष्ठा दिखाई थी। उन्होंने यह भी कहा कि यह मिशन पूरी दुनिया को भारत के असली स्वरूप से परिचित कराएगा।

तकनीक और युवाओं की भूमिका पर जोर

केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इस अवसर पर कहा कि भारत की ज्ञान परंपरा प्राचीन काल से ही बेहद समृद्ध रही है। उन्होंने बताया कि पांडुलिपियों के संरक्षण में अब तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग किया जाएगा। इससे न केवल संरक्षण की प्रक्रिया आसान होगी बल्कि युवा पीढ़ी भी इसमें सक्रिय रूप से भाग ले सकेगी। शेखावत ने कहा कि अगर युवाओं की रुचि इस मिशन से जुड़ी तो यह भविष्य में एक बड़ी जन आंदोलन का रूप ले सकता है। पीएम मोदी ने भी युवाओं को इस पहल में आगे आने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि भारत की धरोहरें केवल किताबें नहीं हैं, बल्कि वे हमारी पहचान और हमारी सभ्यता का सार हैं। सम्मेलन 11 से 13 सितंबर तक आयोजित होगा और इसमें देश-विदेश से कई विशेषज्ञ शामिल होंगे।

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