Controversy: बॉलीवुड की मशहूर अदाकारा और कंट्रोवर्सी क्वीन कंगना रनौत एक बार फिर चर्चा का विषय बन गई है. इस बार बॉलीवुड क्वीन और बीजेपी सांसद कंगना रनौत हिमाचल प्रदेश में बिजली के बिल पर दिए गए बयान के कारण विवाद में फंस गई है. दरअसल बीते दिनों जनसभा में उन्होंने यह बयान दिया था कि जिस घर में वह रहती हैं वह सरकार ने ₹100000 का बिजली बिल दिया है. इस विवाद के बाद अभिनेत्री विवादों में उलझ गई हैं तो चलिए बताते हैं आखिरकार क्या है पूरा मामला-

नए controversy में कंगना रनौत
अभिनेत्री कंगना रनौत बीते दिनों अपने मनाली स्थित घर के बिजली बिल को लेकर टिप्पणी की है. उन्होंने यह दावा किया है कि उन्हें एक लाख रुपये का बिजली बिल मिला है, जबकि वह उस घर में नहीं रहती है.उन्होंने सरकार की तुलना “भेड़ियों के झुंड” से की और कहा कि प्रदेश को इनसे बचाने की जरूरत है.

अभिनेत्री ने हिमाचल सरकार को कहा “भेड़ियों का झुंड”
- कंगना का आरोप है कि उनके मनाली वाले घर का बिजली बिल एक लाख रुपये आया है, जबकि वह वहां नहीं रहती हैं.
- उन्होंने हिमाचल प्रदेश सरकार को “भेड़ियों का झुंड” कहा और कहा कि प्रदेश की हालत खराब हो रही है.
- कंगना ने मंत्री विक्रमादित्य सिंह पर भी निशाना साधा और कहा कि वह चुनावी हार के सदमे से बाहर निकलें और झूठी बातें न फैलाएं.
- अभिनेत्री ने तंज कसते हुए कहा कि सरकार समोसों पर जांच बैठा रही है, जो शर्मिंदगी की बात है.

हिमाचल सरकार का अभिनेत्री को जवाब
हिमाचल प्रदेश बिजली बोर्ड ने अभिनेत्री कंगना रनौत के दावे को गलत बताया है और कहा है कि उनका कुल बिल 91,727 रुपये है, न कि एक लाख रुपये. वहीं मुख्यमंत्री के सलाहकार नरेश चौहान ने कंगना के बयान को “पब्लिसिटी स्टंट” बताया है और कहा है कि उन्हें विभाग से बात करनी चाहिए.
बिजली बोर्ड के प्रबंध निदेशक संदीप कुमार ने कंगना रनौत के बिजली बिल के दावे पर सफाई दी है. उन्होंने कहा कि कंगना का वास्तविक बिल 90,384 रुपये है, जो दो महीने का है.कंगना ने जनवरी और फरवरी का बिल नहीं चुकाया था, जिसे उन्होंने 28 मार्च को भरा.
संदीप कुमार ने बताया कि कंगना के घर में बिजली का लोड 94.82 किलोवाट है, जो सामान्य घरों की तुलना में 1500% अधिक है.उनकी बिजली की मासिक खपत औसतन 5,000 से 9,000 यूनिट तक है, जो इस उच्च लोड के कारण है.
कंगना रनौत को बतौर सांसद हिमाचल सरकार से बिजली सब्सिडी मिल रही है. फरवरी-मार्च 2025 के बिल में उन्हें 700 रुपये प्रति माह की सब्सिडी मिली.लेकिन हिमाचल के मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक और अधिकांश अधिकारी सब्सिडी छोड़ चुके है.
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