Thursday, July 31, 2025

Bihar Politics: CAG रिपोर्ट से हिला बिहार: PK ने नीतीश और तेजस्वी पर लगाए ‘जनता की लूट’ के आरोप

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Bihar: बिहार की राजनीति में इन दिनों नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (CAG – Comptroller and Auditor General of India) की रिपोर्ट ने बड़ा भूचाल ला दिया है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि बिहार सरकार के कई विभागों ने करीब ₹70,000 करोड़ रुपये खर्च किए, लेकिन उनका उपयोगिता प्रमाण पत्र (यूसी) अब तक नहीं जमा किया गया। जैसे ही यह आंकड़ा सामने आया, पूरे राज्य में हड़कंप मच गया। इस मुद्दे को सबसे तेज़ी से उठाया है प्रशांत किशोर (PK) ने—जो एक राजनीतिक रणनीतिकार से अब एक सामाजिक-राजनीतिक आंदोलनकारी बन चुके हैं। वे इन दिनों “जन सुराज यात्रा” के ज़रिए गांव-गांव जाकर शासन की विफलताओं को उजागर कर रहे हैं। PK ने इस रिपोर्ट को “जनता की खुली लूट” करार दिया है और सीधे तौर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव को कटघरे में खड़ा किया है।

PK का बड़ा हमला: सत्ता और विपक्ष दोनों जिम्मेदार

प्रशांत किशोर ने कहा, “ये ₹70,000 करोड़ की लूट सिर्फ सरकार का मामला नहीं है, इसमें सत्ता और विपक्ष दोनों का हाथ है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस पूरे पैसे में से करीब ₹17,000 करोड़ तब का है जब तेजस्वी यादव खुद उपमुख्यमंत्री थे। PK का कहना है कि जनता का पैसा योजनाओं के नाम पर खर्च हुआ लेकिन उसका कोई हिसाब नहीं है। PK के इस बयान से राजनीतिक गलियारों में खलबली मच गई है। जहां कुछ लोग इसे राजनीति से प्रेरित बता रहे हैं, वहीं आम जनता इसपर जवाब मांग रही है।

क्यों चर्चा में है CAG रिपोर्ट?

CAG यानी नियंत्रक-महालेखापरीक्षक की रिपोर्ट भारत के हर राज्य के वित्तीय कामकाज की जांच करती है। बिहार की इस रिपोर्ट में पाया गया कि करोड़ों रुपये योजनाओं में खर्च हुए लेकिन उनके उपयोगिता प्रमाण पत्र (UC) जमा नहीं किए गए। इसका मतलब ये नहीं कि पैसे गबन हुए, लेकिन जब उपयोग का रिकॉर्ड नहीं दिया जाता तो सवाल उठते हैं—कहीं पैसा गलत तरीके से तो नहीं खर्च हुआ? और यहीं से उठता है राजनीतिक विवाद।

CAG रिपोर्ट पर सरकार की सफाई: ये घोटाला नहीं, सामान्य प्रक्रिया है

जब CAG रिपोर्ट में ₹70,000 करोड़ के UC न होने की बात सामने आई, तो विपक्ष ने सरकार को घेर लिया। वहीं सरकार ने इसे लेखा प्रक्रिया का हिस्सा बताया। वित्त विभाग के प्रधान सचिव आनंद किशोर ने प्रेस वार्ता में कहा, “ये कोई घोटाला नहीं है। ये एक सामान्य लेखा प्रक्रिया है, जो हर राज्य में होती है। इसमें कोई गबन नहीं हुआ।” सरकार की यह सफाई अपने आप में एक नई बहस को जन्म देती है। सवाल ये है—अगर ये सामान्य प्रक्रिया है तो फिर UC को लेकर इतनी गंभीरता क्यों? और PK जैसे नेता इसे ‘जनता की लूट’ क्यों बता रहे हैं?

जनता की नजर में सवाल अब भी बाकी हैं

जहां एक ओर सरकार इसे लेखा की सामान्य प्रक्रिया बता रही है, वहीं PK और जनता दोनों इससे संतुष्ट नहीं दिख रहे। बिहार में पहले से ही भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और शिक्षा जैसे मुद्दे गर्म हैं। ऐसे में CAG रिपोर्ट ने एक और गंभीर विषय सामने ला दिया है। प्रशांत किशोर की जन सुराज यात्रा अब इस रिपोर्ट को अपना बड़ा हथियार बना रही है। वे इसे गांव-गांव जाकर जनता के सामने उठा रहे हैं। सवाल अब यह है कि क्या यह मुद्दा आने वाले चुनावों में भी असर डालेगा?

लेखा या लूट? अब जनता तय करेगी

CAG रिपोर्ट की सच्चाई क्या है, इसका फैसला तो जांच के बाद ही होगा। लेकिन इतना तय है कि इस रिपोर्ट ने बिहार की राजनीति को झकझोर कर रख दिया है। PK ने नीतीश और तेजस्वी दोनों को कटघरे में खड़ा किया है। सरकार ने सफाई दी है, लेकिन जनता अभी भी जवाब चाहती है।
क्या ये सच में “जनता की लूट” है? या केवल एक आंकड़ों की लेखा प्रक्रिया? ये सवाल अब हर नागरिक के मन में है।

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