Bihar Election:बिहार चुनाव आयोग में एक महत्वपूर्ण घोषणा की है जिसमें उन्होंने 1 अगस्त 1 सितंबर तक यानी 1 महीने का समय दिया है जिसमें कोई भी पसंद आता है या मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल वोटर लिस्ट में किसी भी पत्र मतदाता का नाम शामिल करवा सकता है.

बिहार चुनाव आयोग ने दी बड़ी राहत
बिहार के मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान के खिलाफ विपक्षी दलों और विभिन्न समूहों द्वारा कड़े विरोध के बीच चुनाव आयोग ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की है. आयोग ने कहा है कि 1 अगस्त से 1 सितंबर तक का समय दिया जाएगा जिसमें कोई भी मतदाता समानता प्राप्त राजनीतिक दल वोटर लिस्ट में किसी भी पात्र मतदाता का नाम शामिल करवा सकता है.

इलेक्शन कमिशन ने यहां बिल्कुल स्पष्ट शब्दों में कहा -“एसआईआर आदेश के पृष्ठ तीन पैरा 7(5) के अनुसार किसी भी मतदाता या किसी भी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल को 1 अगस्त 1 सितंबर तक एक महीने का समय मिलेगा जिससे वह किसी भी पात्र मतदाता का नाम शामिल करवा सके, अगर उसका नाम बीएलओ/बीएलए द्वारा छोड़ दिया गया हो या अगर बीएलओ/बीएलए द्वारा गलत तरीके के नाम शामिल कर दिया गया हो.”

वोटर लिस्ट रिवीजन विवाद क्या है?
अगर सरल भाषा में वोटर लिस्ट रिविजन विवाद को समझा जाएं तो बिहार में इस साल के आखिरी में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और इससे ठीक पहले इलेक्शन कमीशन विशेष गहन पुनरीक्षण करा रहा है और इसकी शुरुआत 24 जून 2025 से हुई थी. इस सर्वे का मुख्य मकसद वोटर लिस्ट को अपडेट करना, फर्जी वोटरों के नामों को हटाना और मृतकों के नामों को हटाना है. इलेक्शन कमीशन यह सुनिश्चित करना चाहती है कि केवल पात्र भारतीय नागरिक ही वोट डाले. बिहार में करीबन 7.89 करोड़ मतदाता हैं और वोटर लिस्ट में अपडेट होने के बाद कई नाम कट सकते है और इस पर लगातार विपक्ष सवाल खड़े कर रहा है.
विपक्ष ने कही ये बात
आरजेडी, कांग्रेस, सीपीआई एमएल समेत विपक्षी दलों ने वोटर लिस्ट रिवीजन को और लोकतांत्रिक बताया. आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने मीडिया से बातचीत में कहा कि -“जब पहले से ही सब कुछ तय हो चुका है तो लाखों लोगों के नाम पर वोटर लिस्ट से हटा दिया जाएंगे और अभी नहीं मतदाताओं के पूर्व में पीएम मोदी वोट दिया था और अतीत में सरकार का भाग्य तय किया गया था तब यह सब ठीक था. हम पूछ रहे हैं कि अब अचानक SIR की जरूरत कैसे आ गई. इसका मतलब है कि सत्य में बैठे लोग खुद कह रहे हैं कि वह धोखे से सत्ता में आए थे और अब फिर से वही बात दोहराई जाएगी. जब उन्होंने बेईमानी करने का फैसला लिया था तो हम चुनाव बहिष्कार की बात कर सकते हैं. हमारे पास यह विकल्प है .”
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