Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दलों में हलचल तेज हो गई है। इसी कड़ी में पूर्व आईपीएस अधिकारी आनंद मिश्रा ने प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया। पटना स्थित भाजपा कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में पार्टी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल और दोनों डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई। मिश्रा ने इस दौरान कहा कि वह भाजपा को मजबूत बनाकर ही बिहार को मजबूत देखना चाहते हैं। उन्होंने साफ किया कि वह चुनावी टिकट के दावेदार नहीं हैं बल्कि जीवनभर पार्टी के लिए काम करेंगे। मिश्रा का यह बयान उनके समर्थकों के लिए भी खास संदेश था कि राजनीति में उनका मकसद सत्ता की कुर्सी नहीं बल्कि संगठन की सेवा है।

बक्सर से चुनाव और जन सुराज का अनुभव
आनंद मिश्रा का नाम पहली बार सुर्खियों में तब आया जब उन्होंने बक्सर से निर्दलीय चुनाव लड़ा था। हालांकि उस समय उन्हें जीत नहीं मिली लेकिन उनकी लोकप्रियता ने उन्हें राजनीतिक चर्चाओं में ला दिया। बाद में वह प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी से जुड़े और यूथ विंग के अध्यक्ष बने। पीके ने उन पर काफी भरोसा जताया था, मगर मिश्रा धीरे-धीरे संगठन से दूरी बनाने लगे। अंततः उन्होंने जन सुराज छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि भाजपा को मिश्रा के प्रशासनिक अनुभव और युवा चेहरों के साथ उनकी लोकप्रियता से चुनाव में खासा फायदा मिल सकता है। पार्टी भी मानती है कि ब्राह्मण और युवा मतदाताओं में उनकी अपील भाजपा को नया समर्थन दिला सकती है।

नागमणि की 14वीं पार्टी एंट्री और सुचित्रा का साथ
इस मौके पर पूर्व केंद्रीय मंत्री नागमणि कुशवाहा और उनकी पत्नी सुचित्रा सिन्हा भी भाजपा में शामिल हुए। नागमणि का राजनीतिक सफर बेहद दिलचस्प रहा है। यह उनकी 14वीं पार्टी एंट्री है। वह पहले राजद से लेकर लोजपा, जदयू, एनसीपी और आरएलएसपी तक कई दलों में रह चुके हैं। यहां तक कि भाजपा में भी उनकी यह दूसरी पारी है। 1999 में राजद टिकट पर जीते और बाद में एनडीए में शामिल होकर अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री बने। केंद्र की सत्ता बदलने के बाद वे बार-बार दल बदलते रहे। उनकी पत्नी सुचित्रा भी जदयू की ओर से विधायक चुनी गईं और नीतीश सरकार में मंत्री बनीं।

आशुतोष कुमार की एंट्री और युवा समीकरण
भाजपा में शामिल होने वालों में एक और नाम था भूमिहार ब्राह्मण मंच के संयोजक आशुतोष कुमार का। आशुतोष पहली बार सवर्ण आरक्षण आंदोलन से सुर्खियों में आए थे और तब से वह भूमिहार और ब्राह्मण समुदाय में एक सक्रिय चेहरा बने हुए हैं। युवाओं में उनकी अच्छी पकड़ है और उनके शामिल होने से भाजपा को सवर्ण समाज के वोट बैंक में और मजबूती मिलने की संभावना जताई जा रही है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि आशुतोष के आने से भाजपा को न सिर्फ चुनाव प्रचार में मदद मिलेगी बल्कि संगठन को भी नई ऊर्जा मिलेगी। इस तरह भाजपा ने एक ही मंच से ब्राह्मण, भूमिहार और कुशवाहा समाज को साधने की कोशिश की है, जो सीधे तौर पर विपक्ष के लिए चुनौती बन सकती है।

भाजपा की रणनीति और विपक्ष की चिंता
भाजपा की यह कोशिश साफ दिख रही है कि वह चुनाव से पहले जातीय और सामाजिक समीकरणों को साधना चाहती है। आनंद मिश्रा के आने से जहां युवा और ब्राह्मण वर्ग को टारगेट किया गया है, वहीं नागमणि और सुचित्रा के जरिए कुशवाहा समाज में पैठ बनाने का प्रयास हो रहा है। आशुतोष कुमार को जोड़कर भाजपा ने भूमिहारों पर भी ध्यान केंद्रित किया है। ऐसे में विपक्षी खेमे खासकर राजद और जदयू के सामने मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। उन्हें अब यह तय करना होगा कि भाजपा की इस रणनीति का मुकाबला कैसे किया जाए। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि विपक्ष फिलहाल गठबंधन को मजबूत करने और एकजुटता दिखाने पर काम कर रहा है, लेकिन भाजपा की इस चाल ने उनके सामने नई चुनौती खड़ी कर दी है।

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