Bihar Politics: बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव इन दिनों दोहरे EPIC नंबर विवाद को लेकर सुर्खियों में हैं। हाल ही में उन्होंने चुनाव आयोग को लिखित जवाब भेजकर फर्जी वोटर आईडी के आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया। तेजस्वी का कहना है कि उनके पास केवल एक वैध EPIC नंबर (RAB-0456228) है, जिसे 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में नामांकन के समय इस्तेमाल किया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि यह वही नंबर है जो आधिकारिक मतदाता सूची में दर्ज है और हर चुनाव में मान्य रहा है।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में सामने आया दूसरा EPIC नंबर
मामले ने तब तूल पकड़ा जब 2 अगस्त 2025 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में तेजस्वी का दूसरा EPIC नंबर (RAB-2916120) दिखाया गया। चुनाव आयोग का कहना है कि यह नंबर फर्जी है और आधिकारिक रिकॉर्ड में दर्ज नहीं है। हालांकि, RJD का दावा है कि यह नंबर खुद आयोग की उस मतदाता सूची में मौजूद था जो बूथ एजेंटों को दी गई थी। यह तथ्य विवाद को और गहरा करता है क्योंकि इससे सवाल उठता है कि अगर नंबर फर्जी था, तो वह आधिकारिक सूची में कैसे आया।

चुनाव आयोग का नोटिस और जांच
चुनाव आयोग ने तेजस्वी यादव को 16 अगस्त तक कथित फर्जी EPIC नंबर का वोटर आईडी कार्ड जमा करने का निर्देश दिया था। आयोग के मुताबिक, दीघा विधानसभा क्षेत्र के निर्वाचक निबंधन पदाधिकारी की जांच में पाया गया कि तेजस्वी का सही EPIC नंबर RAB-0456228 है, जो मतदान केंद्र 204 पर पंजीकृत है। साथ ही, आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) 2025 के बाद उनका नाम मतदाता सूची से नहीं हटाया गया, जैसा कि तेजस्वी ने दावा किया था। इस मामले में आयोग अब तक तीन बार नोटिस जारी कर चुका है।

RJD का पलटवार और बांग्लादेश EC का जिक्र
तेजस्वी के जवाब के बाद RJD ने चुनाव आयोग पर तीखा हमला बोला। पार्टी के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने कहा कि भारत निर्वाचन आयोग का रवैया अहंकारी और गैर-जिम्मेदाराना है। उन्होंने तुलना करते हुए कहा कि बांग्लादेश चुनाव आयोग भी अतीत में विवादों में घिरा रहा है, जहां 2018 और 2024 के चुनावों में फर्जी मतदान और मतदाता सूची में हेरफेर के गंभीर आरोप लगे थे। मनोज झा का आरोप है कि अगर भारत का चुनाव आयोग भी पारदर्शिता नहीं अपनाता, तो ऐसी स्थिति यहां भी पैदा हो सकती है।

कानूनी पहलू और संभावित कार्रवाई
EPIC नंबर विवाद केवल राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का विषय नहीं है, बल्कि कानूनी रूप से भी गंभीर मामला है। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 17 और 18 के तहत किसी भी व्यक्ति का एक से अधिक स्थानों पर मतदाता के रूप में पंजीकरण गैरकानूनी है। अगर इस मामले में दोहरे पंजीकरण का आरोप साबित होता है, तो यह चुनावी आचार संहिता का उल्लंघन होगा और कानूनी कार्रवाई का रास्ता खुल सकता है।
तेजस्वी का तर्क है कि अगर उनका दूसरा EPIC नंबर गलत था, तो इसकी जिम्मेदारी पूरी तरह आयोग की है। उन्होंने कहा कि यह नंबर खुद आधिकारिक सूची में मौजूद था, जो दर्शाता है कि आयोग की तकनीकी प्रणाली में खामी है। उनके अनुसार, चुनाव से पहले ऐसी गड़बड़ियां न केवल उम्मीदवार की छवि को नुकसान पहुंचाती हैं, बल्कि पूरी चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करती हैं।

पारदर्शिता की मांग और बहस
RJD द्वारा बांग्लादेश का उदाहरण देने के बाद चुनावी पारदर्शिता पर बहस तेज हो गई है। चुनाव सुधार से जुड़े कार्यकर्ताओं का कहना है कि मतदाता सूची और EPIC डेटा को अधिक पारदर्शी बनाया जाना चाहिए, ताकि कोई भी नागरिक आसानी से अपनी जानकारी सत्यापित कर सके। इससे दोहरे पंजीकरण और फर्जी मतदान की संभावना कम हो सकती है। तेजस्वी यादव का जवाब चुनाव आयोग को मिल चुका है और अब फैसला आयोग को करना है। यह तय करना होगा कि मामला तकनीकी खामी का है या वास्तव में कोई गड़बड़ी हुई है। जो भी नतीजा निकलेगा, उसका सीधा असर बिहार के आगामी चुनावी माहौल और आयोग की विश्वसनीयता पर पड़ेगा।

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