Thursday, August 7, 2025

भारत और फिलीपींस की नई रणनीतिक साझेदारी: वीजा फ्री ट्रैवल से लेकर ब्रह्मोस डील तक

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नई दिल्ली: भारत और फिलीपींस की नई रणनीतिक साझेदारी ने दक्षिण-पूर्व एशिया में भारत की स्थिति को और मजबूत कर दिया है। फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्डिनेंड आर. मार्कोस जूनियर की भारत यात्रा के दौरान यह फैसला लिया गया, जो पांच दिनों की राजकीय यात्रा पर दिल्ली पहुंचे हैं। पीएम मोदी से मुलाकात में कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर गहन चर्चा हुई। प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट कहा कि भारत और फिलीपींस अब न सिर्फ मित्र हैं, बल्कि नियति से साझेदार भी हैं। यह वाक्य इस नए युग की शुरुआत को दर्शाता है। दोनों देशों के बीच अब संबंध केवल कूटनीति तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि जनता, सेना और व्यापार जगत तक गहराई से जुड़ेंगे।

पीएम मोदी बोले: दोस्ती नहीं, अब भविष्य का वादा है यह साझेदारी

मोदी ने साझा प्रेस वार्ता में कहा, “हमारी दोस्ती अतीत की साझेदारी नहीं, बल्कि भविष्य के लिए एक वादा है।” हिंद महासागर से लेकर प्रशांत महासागर तक भारत और फिलीपींस अब साझा मूल्यों के लिए मिलकर काम करेंगे। इस दौरान, दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी की आधिकारिक घोषणा हुई और इसके कार्यान्वयन को लेकर व्यापक कार्य योजना पर भी सहमति बनी। यह फैसला ऐसे समय में हुआ है जब दोनों देश राजनयिक संबंधों के 75 साल पूरे कर रहे हैं। इस अवसर पर मोदी और मार्कोस ने एक डाक टिकट जारी किया।

नौसैनिक अभ्यास से लेकर ब्रह्मोस डील तक बढ़ा रक्षा सहयोग

भारत और फिलीपींस के बीच रक्षा क्षेत्र में तालमेल अब तेज़ी से बढ़ रहा है। हाल ही में भारत के तीन नौसैनिक जहाज फिलीपींस में संयुक्त अभ्यास में शामिल हुए, जो पहली बार हुआ। फिलीपींस भारत निर्मित ब्राह्मोस मिसाइल खरीदने वाला पहला देश बन चुका है। इसके अलावा, सेनाओं के बीच संवाद के लिए नई रूपरेखा भी तैयार की गई है। इससे न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति भी मजबूत होगी।

9 अहम समझौते: अंतरिक्ष, व्यापार, रक्षा और विज्ञान में नई शुरुआत

भारत और फिलीपींस ने एकसाथ 9 समझौतों पर हस्ताक्षर किए। इनमें रणनीतिक साझेदारी का क्रियान्वयन, सेनाओं के बीच संवाद की व्यवस्था, और अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग पर सहयोग शामिल हैं। इन समझौतों से तकनीकी, वैज्ञानिक और सुरक्षा क्षेत्रों में साझा शोध को बढ़ावा मिलेगा। कृत्रिम बुद्धिमत्ता, 3डी प्रिंटिंग, विषाणु विज्ञान जैसे क्षेत्रों में दोनों देश मिलकर काम करेंगे। राष्ट्रपति मार्कोस जूनियर ने अपने भाषण में स्पष्ट किया कि फिलीपींस हिंद प्रशांत क्षेत्र को एक मुक्त, समावेशी और संतुलित क्षेत्र बनाना चाहता है। प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस विचार का समर्थन करते हुए कहा कि सभी देशों को नौवहन और व्यापार की समान आज़ादी मिलनी चाहिए।

वीजा फ्री ट्रैवल और ई-वीजा से पर्यटन को मिलेगा नया उड़ान

एक बड़ी खुशखबरी यह है कि फिलीपींस ने भारतीय पर्यटकों के लिए वीजा फ्री ट्रैवल की घोषणा की है। अब भारतीय 15 दिनों तक बिना वीजा फिलीपींस की खूबसूरती का आनंद ले सकेंगे। इसके जवाब में भारत ने भी फिलीपींस के नागरिकों को ई-वीजा देने की सुविधा घोषित की है। पर्यटन और व्यापार को बढ़ावा देने के लिए भारत और फिलीपींस के बीच सीधी उड़ानों पर भी सहमति बनी है। दिसंबर 2025 से पहले दोनों देशों की राजधानियों के बीच पहली डायरेक्ट फ्लाइट शुरू हो जाएगी। यह सुविधा व्यवसायियों, छात्रों और पर्यटकों के लिए यात्रा को काफी आसान बना देगी और दोनों देशों के बीच लोगों का आवागमन बढ़ेगा। यह निर्णय न केवल पर्यटन, बल्कि सांस्कृतिक और शैक्षणिक संपर्क को भी गहरा करेगा।

व्यापार को मिलेगा प्रोत्साहन, विज्ञान और डिजिटल प्रौद्योगिकी में होगा सहयोग

पीएम मोदी ने बताया कि भारत और फिलीपींस के बीच द्विपक्षीय व्यापार 3 अरब डॉलर के पार पहुंच गया है। अब दोनों देश वरियतापूर्ण व्यापार समझौते (Preferential Trade Agreement) की दिशा में भी आगे बढ़ेंगे। भारत ASEAN FTA का सदस्य होने के बावजूद फिलीपींस के साथ अलग व्यापार समझौता करना चाहता है, जिससे छोटे उद्यमों और स्टार्टअप्स को नई संभावनाएं मिलेंगी। प्रधानमंत्री ने बताया कि भारतीय कंपनियां फिलीपींस में डिजिटल टेक्नोलॉजी, स्वास्थ्य सेवा, इन्फ्रास्ट्रक्चर, और खनिज संसाधन जैसे क्षेत्रों में पहले से सक्रिय हैं। अब सहयोग और गहराया जाएगा। साथ ही, संप्रभु डेटा क्लाउड और त्वरित प्रभाव परियोजनाएं भारत-फिलीपींस विकास साझेदारी का हिस्सा होंगी। इससे दोनों देशों के डिजिटल और तकनीकी इकोसिस्टम को मजबूती मिलेगी।

आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता और वैश्विक समर्थन

प्रधानमंत्री मोदी ने पहलगाम आतंकी हमले की निंदा के लिए फिलीपींस का आभार व्यक्त किया। हमले में 26 निर्दोष लोगों की मौत हुई थी। फिलीपींस का यह समर्थन दर्शाता है कि दोनों देश आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हैं। यह वैश्विक मंचों पर भी एक सशक्त संदेश है कि लोकतांत्रिक राष्ट्र मिलकर हर चुनौती का सामना कर सकते हैं।

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