New Delhi: अमेरिकी अर्थशास्त्री जेफरी सैक्स ने भारत को स्पष्ट सलाह दी है कि वह चीन के साथ अपने विवादित मुद्दों का हल खोजे। उनका मानना है कि अगर दोनों देश व्यापारिक साझेदारी मजबूत करते हैं, तो इसका लाभ न केवल इन्हें, बल्कि पूरी दुनिया को होगा। मौजूदा समय में भारत और अमेरिका के रिश्तों में खटास बढ़ी है, जिससे लंबी अवधि में अनिश्चितता पैदा हो सकती है। सैक्स का कहना है कि पड़ोसी देश के साथ स्थायी आर्थिक संबंध बनाना, दूर के सहयोगियों पर निर्भर रहने से ज्यादा सुरक्षित रणनीति है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अमेरिका और पश्चिमी देशों की ट्रेड वार जैसी नीतियों में फंसना भारत के आर्थिक भविष्य को जोखिम में डाल सकता है।

ट्रंप की नीतियों से सतर्क रहने की सलाह
जेफरी सैक्स ने कहा कि अमेरिका भारत को अक्सर रणनीतिक मोहरे के रूप में देखता है, न कि बराबरी के साझेदार के रूप में। उदाहरण के तौर पर उन्होंने मौजूदा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों का जिक्र किया, जिनमें भारतीय निर्यात पर 50% तक का टैरिफ लगाया गया है। यह कदम अमेरिका की संरक्षणवादी नीति को दर्शाता है और यह बताता है कि लंबे समय तक आर्थिक भरोसा बनाए रखना कठिन हो सकता है। सैक्स ने सुझाव दिया कि भारत को अपनी आर्थिक नीति में विविधता लानी चाहिए और केवल एक देश के बाजार पर निर्भर रहने की गलती नहीं करनी चाहिए।

ग्लोबल सप्लाई चेन में चीन की जगह लेना अव्यावहारिक
सैक्स ने कहा कि भारत के लिए ग्लोबल सप्लाई चेन में चीन का स्थान लेना एक अव्यावहारिक सोच है। उन्होंने बताया कि कुछ अमेरिकी हलकों में यह मान्यता है कि भारत चीन के खिलाफ अमेरिकी रणनीति में उसकी भूमिका निभा सकता है, लेकिन वास्तविकता में ऐसा करना न तो आसान है और न ही आर्थिक रूप से फायदेमंद। सैक्स का मानना है कि पूरी सप्लाई चेन को चीन से हटाकर भारत में स्थानांतरित करना विश्व अर्थव्यवस्था के लिए भारी और अस्थिर कदम होगा।

चीन के साथ तकनीकी साझेदारी के अवसर
सैक्स ने खास तौर पर तकनीकी क्षेत्र में भारत और चीन के बीच संभावनाओं पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ग्रीन एनर्जी, डिजिटल टेक्नोलॉजी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और एडवांस चिप निर्माण जैसे क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच सहयोग की अपार क्षमता है। वह मानते हैं कि राजनीतिक और सीमा विवाद मौजूद हैं, लेकिन इन्हें बातचीत और कूटनीति से सुलझाया जा सकता है। अगर इन मुद्दों का समाधान निकाला जाए तो आर्थिक और तकनीकी सहयोग दोनों देशों को दीर्घकालिक लाभ पहुंचा सकता है।

विविध साझेदारों पर भरोसा जरूरी
जेफरी सैक्स ने भारत को सलाह दी है कि वह केवल अमेरिकी बाजार पर ध्यान न दे। उन्होंने कहा कि आर्थिक स्थिरता के लिए भारत को रूस, आसियान देशों, अफ्रीकी देशों और चीन जैसे विभिन्न साझेदारों के साथ संबंध मजबूत करने चाहिए। अमेरिकी बाजार उनके अनुसार अस्थिर, धीमी प्रगति वाला और संरक्षणवादी है। विविध व्यापारिक साझेदार भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था में मजबूती देंगे और किसी एक देश की नीति बदलाव का असर कम करेंगे।

मोदी की संभावित चीन यात्रा और भविष्य की दिशा
यह बयान ऐसे समय आया है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संभावित चीन यात्रा की चर्चा तेज है। यह 2020 में गलवान घाटी में हुए तनाव के बाद उनकी पहली चीन यात्रा हो सकती है। सैक्स का मानना है कि अगर भारत इस मौके का इस्तेमाल संवाद और सहयोग बढ़ाने में करता है, तो यह न केवल भारत-चीन रिश्तों में सुधार लाएगा बल्कि भारत की वैश्विक स्थिति को भी मजबूत करेगा। उनकी स्पष्ट सलाह है कि भारत को अपनी आर्थिक रणनीति खुद तय करनी चाहिए और वाशिंगटन या किसी भी अन्य देश को अपने आर्थिक भविष्य पर नियंत्रण नहीं देने देना चाहिए।

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