India US trade talks: भारत और अमेरिका के बीच लंबे समय से टैरिफ विवाद चला आ रहा है, जिसने दोनों देशों के व्यापार संबंधों को प्रभावित किया है। अब हालात बदलते दिख रहे हैं क्योंकि भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता एक बार फिर दिल्ली में शुरू हो रही है। अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व प्रमुख वार्ताकार ब्रेंडन लिंच कर रहे हैं। शाम को उनकी मुलाकात भारतीय वाणिज्य मंत्रालय की टीम से होगी, जिसका नेतृत्व विशेष सचिव राजेश अग्रवाल कर रहे हैं। दोनों पक्ष उम्मीद कर रहे हैं कि यह बातचीत सकारात्मक नतीजों की ओर बढ़ेगी। पिछले साल अमेरिका द्वारा अतिरिक्त टैरिफ लगाए जाने के कारण छठे दौर की बातचीत टल गई थी। अब जब अमेरिकी टीम भारत पहुंच चुकी है, तो उद्योग जगत की नजरें इस वार्ता पर टिकी हैं।

पिछली बैठकों और टैरिफ विवाद का असर
भारत और अमेरिका के बीच अब तक पांच राउंड की व्यापार वार्ता हो चुकी है। हालांकि, छठे राउंड से पहले अमेरिका ने भारत पर 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया, जिससे बातचीत रुक गई। इससे न केवल आधिकारिक स्तर पर वार्ता प्रभावित हुई, बल्कि भारतीय निर्यातकों पर भी भारी असर पड़ा। रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिकी आयातकों ने भारतीय उत्पादों के महंगे होने के कारण कई ऑर्डर रद्द कर दिए। यही कारण है कि भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता को इस समय बेहद अहम माना जा रहा है। एक अधिकारी ने कहा, “यह औपचारिक बातचीत का दौर नहीं है, बल्कि समझौते तक पहुंचने की दिशा में एक नई कोशिश है।” इस बयान से साफ है कि दोनों देश धैर्यपूर्वक एक नया रास्ता खोजने की कोशिश कर रहे हैं।

भारत की ओर से नेतृत्व और रणनीति
वाणिज्य मंत्रालय के विशेष सचिव राजेश अग्रवाल भारतीय पक्ष का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका कई स्तरों पर लगातार बातचीत कर रहे हैं। हालांकि, जमीनी स्तर पर प्रगति नहीं हो पा रही थी। यही वजह है कि अब दोनों पक्ष आमने-सामने बैठकर रणनीति तय करना चाहते हैं। कॉमर्स सेक्रेटरी सुनील बर्थवाल ने भी सकारात्मक संकेत दिए। उन्होंने कहा, “कूटनीतिक और व्यापार स्तर पर अमेरिका के साथ लगातार चर्चा हो रही है। हमारे लिए यह जरूरी है कि हम मुद्दों का हल निकालें और निर्यातकों को राहत दें।” भारतीय टीम का फोकस इस बार निर्यातकों को तत्काल राहत देने और अमेरिका के बाजार में भारतीय उपस्थिति को मजबूत करने पर है।

निर्यात पर टैरिफ का सीधा असर
अमेरिका द्वारा अतिरिक्त शुल्क लगाए जाने के बाद भारतीय निर्यातक मुश्किल में हैं। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त में भारत का अमेरिका को निर्यात घटकर 6.86 अरब डॉलर रह गया, जो जुलाई में 8.01 अरब डॉलर था। कुल वस्तु निर्यात भी 37.24 अरब डॉलर से गिरकर 35.10 अरब डॉलर रह गया। इसका सीधा असर भारतीय कारोबारियों और उद्योगों पर पड़ा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और आरबीआई अधिकारियों से मिलकर निर्यातकों ने अपनी चिंताएं साझा की हैं। उन्होंने मांग की है कि सरकार उन्हें आसान कर्ज शर्तें और नए बाजारों में पहुंच बनाने के लिए मदद उपलब्ध कराए। उनका कहना है कि अगर जल्द समझौता नहीं हुआ तो अमेरिकी बाजार का स्थायी नुकसान हो सकता है। यही कारण है कि मौजूदा भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता से निर्यातकों को बड़ी उम्मीदें हैं।

व्यापार घाटा और भविष्य की राह
भारत का निर्यात घटने से व्यापार घाटा 26.49 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। सरकार को चिंता है कि अगर अमेरिकी टैरिफ बरकरार रहे तो यह घाटा और बढ़ सकता है। ऐसे में भारतीय टीम का मकसद है कि अमेरिका को टैरिफ में ढील देने के लिए राजी किया जाए। इसके अलावा, भारत एक राहत पैकेज पर भी विचार कर रहा है, ताकि निर्यातकों की नकदी संकट की समस्या हल हो सके। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर दिल्ली में हो रही यह भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता सकारात्मक मोड़ लेती है तो यह दोनों देशों के रिश्तों में नई ऊर्जा ला सकती है। फिलहाल, सभी की नजरें इस बैठक पर हैं कि क्या आज कोई ठोस समझौता निकल पाएगा या बातचीत सिर्फ अगले दौर का रास्ता खोलेगी।

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