S Jaishankar: भारत और अमेरिका के रिश्तों को लेकर एक नई बहस छिड़ गई है। विदेश मंत्री एस जयशंकर रूस तेल खरीद पर अमेरिकी टैरिफ को लेकर खुलकर बोले हैं। उन्होंने साफ कहा कि भारत अपनी ऊर्जा ज़रूरतों के हिसाब से निर्णय लेगा और किसी दबाव में नहीं आएगा। जयशंकर का यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस से तेल खरीद पर भारत पर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया है। इस फैसले से दोनों देशों के बीच आर्थिक और रणनीतिक संबंधों में तनाव की स्थिति बन गई है।

रूस यात्रा में एस जयशंकर का कड़ा संदेश
मॉस्को यात्रा के दौरान एस जयशंकर ने रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने भारत-रूस संबंधों को विश्व युद्ध के बाद से सबसे स्थिर और भरोसेमंद बताया। बातचीत में ऊर्जा सहयोग, निवेश और व्यापारिक संबंधों पर विशेष जोर दिया गया। जयशंकर ने अमेरिका का नाम लिए बिना कहा कि भारत अपने फैसले राष्ट्रीय हितों और जनता की ज़रूरतों को ध्यान में रखकर लेता है। उनका कहना था कि ऊर्जा बाजार की स्थिरता वैश्विक प्राथमिकता होनी चाहिए और इसके लिए रूस तेल खरीद को गलत ठहराना तर्कसंगत नहीं है।

अमेरिका पर सवाल खड़े करते हुए ट्रंप को निशाना
जयशंकर ने अमेरिकी नीतियों को दोहरे मानदंड वाला बताया। उन्होंने कहा कि खुद अमेरिका दुनिया को ऊर्जा बाजार स्थिर रखने की सलाह देता है और जब भारत उसी दिशा में कदम उठाता है तो उसे टैरिफ का सामना करना पड़ता है।

जयशंकर ने कहा, “हम रूस के तेल के सबसे बड़े खरीदार नहीं हैं, वो चीन है। हम रूसी LNG के सबसे बड़े खरीदार नहीं है… मुझे लगता है कि वो यूरोपीय संघ है। हम वो देश नहीं हैं, जिसने 2022 के बाद रूस के साथ व्यापार को सबसे ज्यादा बढ़ाया है, मुझे लगता है कि दक्षिण में कुछ ऐसे देश हैं। हम एक ऐसे देश हैं जहां पिछले कुछ सालों से अमेरिकी कहते रहे हैं कि हमें दुनिया के ऊर्जा बाजारों को स्थिर करने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए, जिसमें रूस से तेल खरीदना भी शामिल है। हम अमेरिका से भी तेल खरीदते हैं, और ये मात्रा बढ़ती जा रही है,इसलिए हम 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ के तर्क को समझ नहीं पा रहे हैं।”उनका यह बयान अमेरिका के आरोपों पर सीधा जवाब माना जा रहा है।
भारत-रूस संबंधों की गहराई
भारत और रूस का रिश्ता दशकों पुराना है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से दोनों देशों के बीच रक्षा, ऊर्जा और विज्ञान-तकनीक में मजबूत सहयोग रहा है। रूस यात्रा के दौरान दोनों पक्षों ने इस परंपरा को और गहरा करने की बात कही। रूसी विदेश मंत्री लावरोव ने कहा कि भारत के साथ तेल और गैस क्षेत्र में साझेदारी रूस की प्राथमिकता है। वहीं जयशंकर ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत की ऊर्जा सुरक्षा सबसे अहम है और इसके लिए एस जयशंकर रूस तेल खरीद को लेकर पीछे नहीं हटेंगे।

अमेरिकी टैरिफ पर गहराता विवाद
ट्रंप प्रशासन ने रूस से तेल खरीदने को लेकर भारत पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया है। पहले से ही भारतीय उत्पादों पर 25 प्रतिशत टैरिफ लागू है। अगर यह स्थिति बनी रही तो कुल शुल्क 50 प्रतिशत तक पहुंच सकता है। जयशंकर ने इसे भारत की अर्थव्यवस्था पर अनावश्यक बोझ बताया। उन्होंने कहा कि भारत अमेरिका से भी तेल खरीदता है और वहां से आयात लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में यह कहना कि भारत केवल रूस पर निर्भर है, पूरी तरह गलत है।

भविष्य की राह और रणनीतिक साझेदारी
भारत और रूस ने इस यात्रा के दौरान निवेश, ऊर्जा और सुरक्षा जैसे कई क्षेत्रों में साझेदारी बढ़ाने का निर्णय लिया। जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों की दोस्ती किसी अस्थायी विवाद पर आधारित नहीं है, बल्कि यह दशकों से बनी स्थिर साझेदारी है। वहीं अमेरिकी दबाव पर उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि भारत अपने लोगों के हितों के लिए काम करता है और रूस तेल खरीद उसकी ऊर्जा रणनीति का अहम हिस्सा रहेगा। यह संदेश न केवल अमेरिका बल्कि पूरी दुनिया को था कि भारत अब वैश्विक राजनीति में स्वतंत्र और आत्मनिर्भर रुख अपनाएगा।

ये भी पढ़ें: निक्की हेली की नसीहत: चीन को रोकना है तो भारत संग रिश्ते सुधारें ट्रंप