Sunday, December 7, 2025

अमित शाह ने पुलिस को दिया आदेश, निहित स्वार्थ वाले आंदोलन पर सख्ती

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Hemant Raushan
Hemant Raushan
Delhi-based content writer at The Rajdharma News, with 5+ years of UPSC CSE prep experience. I cover politics, society, and current affairs with a focus on depth, balance, and fact-based journalism.

Amit Shah: दिल्ली में आयोजित नेशनल सिक्योरिटी स्ट्रेटेजीज कॉन्फ्रेंस 2025 में गृह मंत्री अमित शाह ने एक अहम संदेश दिया। उन्होंने कहा कि आज़ादी के बाद देश में जितने भी बड़े आंदोलन हुए, खासकर 1974 के बाद के, उनकी गहराई से जांच की जानी चाहिए। शाह ने साफ किया कि यह स्टडी सिर्फ इतिहास को समझने के लिए नहीं बल्कि भविष्य की रणनीति बनाने के लिए की जाएगी। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि यह पता लगाया जाए कि इन आंदोलनों के पीछे की वजहें क्या थीं, इनमें कितना पैसा खर्च हुआ और इन्हें संचालित करने वाले लोग कौन थे। उनका मानना है कि कई बार आंदोलनों का इस्तेमाल समाज में अराजकता फैलाने और राजनीतिक या आर्थिक लाभ लेने के लिए किया जाता है। “निहित स्वार्थ वाले आंदोलन देश की शांति और सुरक्षा के लिए खतरा हैं,” शाह ने अपने संबोधन में कहा।

निहित स्वार्थ वाले आंदोलन पर बनेगा SOP

अमित शाह ने स्पष्ट किया कि इस स्टडी का सबसे बड़ा मकसद एक मजबूत स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (SOP) तैयार करना है। यह SOP पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों को एक मानक नीति देगा ताकि भविष्य में अचानक उभरने वाले आंदोलनों को समय रहते संभाला जा सके। शाह का कहना था कि कई आंदोलन वास्तविक जनहित से ज्यादा खास राजनीतिक और आर्थिक हितों के लिए आयोजित किए जाते हैं, जिससे कानून-व्यवस्था बिगड़ती है और आम जनता को नुकसान होता है। उन्होंने ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (BPR&D) को जिम्मेदारी दी कि वह राज्यों की पुलिस के साथ मिलकर पुराने केस फाइल और CID रिपोर्ट का अध्ययन करे। इस अध्ययन से यह भी समझा जाएगा कि पहले हुए आंदोलनों को कैसे नियंत्रित किया गया और कहाँ चूक हुई। शाह का मानना है कि सही डेटा और अनुभव के आधार पर ही भविष्य में ऐसे आंदोलनों को नियंत्रित करने की ठोस रणनीति बनाई जा सकती है।

पैसों और फंडिंग की होगी जांच

गृह मंत्री ने केवल आंदोलनों के कारणों पर ही ध्यान नहीं दिया बल्कि उनकी फंडिंग पर भी बड़ा सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि अक्सर बड़े प्रदर्शनों और विरोध-प्रदर्शनों के पीछे भारी-भरकम रकम लगाई जाती है, जिसे जांचना बेहद जरूरी है। इसके लिए शाह ने ईडी (एन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट), FIU-IND (फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट) और CBDT (सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस) जैसी एजेंसियों को शामिल करने का निर्देश दिया। इन एजेंसियों को आंदोलन की फाइनेंशियल ट्रेल खंगालने और यह पता लगाने को कहा गया कि धन कहां से आया और किस उद्देश्य से इस्तेमाल हुआ। “अगर आंदोलन के पीछे अवैध फंडिंग या आतंकी नेटवर्क का हाथ सामने आता है तो किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा,” शाह ने कहा। इससे साफ है कि सरकार आंदोलन के नाम पर हो रहे आर्थिक खेल को भी बेनकाब करने के लिए प्रतिबद्ध है।

आतंकी फंडिंग और धार्मिक आयोजनों पर नजर

अमित शाह ने यह भी जोर दिया कि कई बार धार्मिक आयोजनों या भीड़भाड़ वाले कार्यक्रमों में हिंसा और भगदड़ जैसी घटनाएं हो जाती हैं। उन्होंने BPR&D को यह जिम्मेदारी दी कि राज्यों की पुलिस के साथ मिलकर इन आयोजनों का भी अध्ययन किया जाए। मकसद यह समझना है कि भीड़ के प्रबंधन में कहाँ कमी रह जाती है और कैसे एक SOP बनाकर ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है। शाह ने यह भी कहा कि सुरक्षा एजेंसियों को आतंकी फंडिंग नेटवर्क की गहराई से जांच करनी चाहिए। इसके लिए फाइनेंशियल डेटा और नेटवर्क लिंक का पता लगाया जाए, ताकि यह समझा जा सके कि छिपे हुए आतंकी संगठन और उनके सहयोगी आंदोलन और विरोध प्रदर्शनों को कैसे प्रभावित करते हैं। उनका मानना है कि अगर सही समय पर इन कड़ियों को तोड़ा जाए, तो देश की सुरक्षा को मजबूत बनाया जा सकता है और नागरिकों को सुरक्षित वातावरण दिया जा सकता है।

पंजाब और जेल नेटवर्क पर खास प्लान

गृह मंत्री ने पंजाब से जुड़े मुद्दों पर भी विशेष ध्यान देने की जरूरत बताई। उन्होंने NIA, BSF और NCB को निर्देश दिया कि वे खालिस्तानी गतिविधियों और नशे से जुड़े अपराधों पर सख्ती से कार्रवाई करें। पंजाब को लेकर शाह ने कहा कि यह इलाका सुरक्षा की दृष्टि से संवेदनशील है, इसलिए यहां अलग रणनीति अपनानी होगी। इसके अलावा जेलों में बैठे अपराधियों पर भी उनका फोकस था। उन्होंने कहा कि कई अपराधी जेल में रहते हुए भी अपने नेटवर्क को चलाते हैं। इस समस्या से निपटने के लिए अपराधियों को एक जेल से दूसरी जेल में शिफ्ट करने जैसी रणनीति अपनाई जा सकती है। “जेलों से चल रहे अपराधी नेटवर्क को तोड़ना हमारी प्राथमिकता है,” शाह ने कहा। यह स्पष्ट संकेत है कि केंद्र सरकार निहित स्वार्थ वाले आंदोलनों के साथ-साथ संगठित अपराध पर भी पूरी तरह शिकंजा कसने के मूड में है।

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