Saturday, September 6, 2025

उमर खालिद की जमानत पर बोले पूर्व CJI चंद्रचूड़! वकीलों की कार्यशैली पर उठाए गंभीर सवाल

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Hemant Raushan
Hemant Raushan
Delhi-based content writer at The Rajdharma News, with 5+ years of UPSC CSE prep experience. I cover politics, society, and current affairs with a focus on depth, balance, and fact-based journalism.

DY Chandrachud: दिल्ली दंगों के आरोपी और 5 साल से जेल में बंद उमर खालिद की जमानत याचिका हाल ही में हाई कोर्ट ने खारिज कर दी। इसके बाद पूरे देश में बहस छिड़ गई। सोशल मीडिया पर कई तरह की राय सामने आई और न्यायपालिका की निष्पक्षता पर भी सवाल उठाए गए। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने पहली बार इस मामले पर खुलकर अपनी बात रखी। उन्होंने साफ कहा कि अदालतों पर आरोप लगाने से पहले लोगों को केस का रिकॉर्ड देखना चाहिए। खास तौर पर, उन्होंने उमर खालिद के वकीलों की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए। पूर्व सीजेआई ने स्पष्ट किया कि इस मामले में कई बार सुनवाई टलने की वजह खुद बचाव पक्ष की मांग रही।

उमर खालिद जमानत पर वकीलों की रणनीति पर सवाल

जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपने इंटरव्यू में कहा कि उमर खालिद के मामले में अदालतों की भूमिका को लेकर कई तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि खालिद की जमानत सुनवाई कम से कम सात बार वकीलों की अर्जी पर टली। उन्होंने कहा कि लोग यह भूल जाते हैं कि अदालत के रिकॉर्ड में साफ दर्ज है कि बार-बार बचाव पक्ष ने ही तारीख बदलने की मांग की। “आप कल्पना कर सकते हैं कि कम से कम सात बार उमर खालिद के वकील ने सुनवाई की तारीख बदलने की मांग की. और आखिर में जमानत की अर्जी वापस ले ली गई,” उन्होंने कहा। पूर्व सीजेआई ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि कोर्ट की निष्पक्षता पर सवाल उठाने से पहले बार-बार स्थगन की इन मांगों पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।

सोशल मीडिया नैरेटिव और न्यायपालिका की स्थिति

पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही धारणा पर भी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि कई बार प्लेटफॉर्म्स पर एकतरफा नैरेटिव पेश किया जाता है, लेकिन जजों के पास अपनी सफाई देने का मौका नहीं होता। “सोशल मीडिया पर एक खास नजरिया पेश किया जाता है लेकिन जज वहां पर बचाव में अपनी बात नहीं रख सकते,” चंद्रचूड़ ने कहा। उनका कहना था कि अदालतों के फैसले और कार्यवाही के पूरे रिकॉर्ड को देखकर ही किसी राय पर पहुंचना चाहिए। उन्होंने याद दिलाया कि खालिद की जमानत याचिका भी अंततः उनके वकीलों ने वापस ले ली थी, और यह तथ्य अक्सर बहस में छिपा दिया जाता है।

जमानत बहस से हिचकिचाहट पर पूर्व CJI का तंज

जस्टिस चंद्रचूड़ ने यह भी कहा कि उमर खालिद के मामले में बहस से बचने की प्रवृत्ति साफ नजर आई। “या तो आप पहले दिन बहस करें या आप कहें कि मैं जमानत के लिए अपनी अर्जी पर जोर नहीं देना चाहता. लेकिन उमर खालिद के मामले में रिकॉर्ड से ही पता चलता है कि अदालत में बार-बार स्थगन के लिए अर्जी दी गई थी,” उन्होंने कहा। पूर्व सीजेआई ने सवाल उठाया कि आखिर वकील लगातार बहस को टालते क्यों रहे? क्या यह रणनीति थी या फिर तैयारी का अभाव? उनके मुताबिक इस तरह की कार्यप्रणाली न्याय की प्रक्रिया को लंबा कर देती है और इससे केवल भ्रम फैलता है। उन्होंने वकीलों से अपील की कि वे स्थगन की आदत छोड़ें और न्यायालय में मुकदमे पर सीधे बहस करें।

उमर खालिद जमानत बहस और लोकतंत्र में भरोसा

पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने अपने बयान में साफ किया कि वह मामले के गुण-दोष पर टिप्पणी नहीं करेंगे। लेकिन उन्होंने यह जरूर कहा कि जनता को अदालतों पर भरोसा बनाए रखना चाहिए। उन्होंने बार और सिविल सोसाइटी से भी अपील की कि वे केवल सोशल मीडिया नैरेटिव पर न चलें, बल्कि केस के असली रिकॉर्ड की जांच करें। उनका कहना था कि अदालतें हमेशा सबूत और कानूनी प्रक्रिया के आधार पर निर्णय देती हैं, न कि बाहरी दबाव में। जस्टिस चंद्रचूड़ के इस बयान ने उमर खालिद जमानत पर चल रही बहस को एक नया मोड़ दे दिया है। उन्होंने यह संदेश भी दिया कि अगर समाज को न्यायपालिका पर विश्वास रखना है, तो वकीलों को भी जिम्मेदारी से काम करना होगा और बार-बार सुनवाई टालने की प्रवृत्ति छोड़नी होगी।

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