Sunday, December 7, 2025

बिहार चुनाव 2025: NDA में सीट बंटवारे पर बनी सहमति, BJP-जेडीयू में तालमेल, चिराग पासवान की मांगों पर सस्पेंस

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Hemant Raushan
Hemant Raushan
Delhi-based content writer at The Rajdharma News, with 5+ years of UPSC CSE prep experience. I cover politics, society, and current affairs with a focus on depth, balance, and fact-based journalism.

Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में अब ज्यादा समय नहीं बचा है और NDA गठबंधन सीटों के बंटवारे को लेकर अंतिम चरण में पहुंच चुका है। भाजपा (BJP) और जनता दल (यूनाइटेड) यानी जेडीयू (JDU) के बीच लगभग सहमति बन चुकी है कि दोनों दल बराबर संख्या में सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। सूत्रों के मुताबिक 243 सीटों में से भाजपा और जेडीयू 100 से 105 सीटों तक अपने-अपने हिस्से में ले सकते हैं। यह समझौता गठबंधन की मजबूती का संकेत देता है, हालांकि चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) यानी LJP (RV) अधिक सीटों की मांग कर रही है। यही वजह है कि बिहार चुनाव 2025 में NDA का सीट समीकरण फिलहाल पूरी तरह साफ नहीं हुआ है।

BJP और जेडीयू के बीच तालमेल पर सहमति

2020 के चुनावों में जेडीयू ने 115 और भाजपा ने 110 सीटों पर लड़ाई लड़ी थी। उस वक्त BJP ने 74 और जेडीयू ने 43 सीटें जीती थीं। इस बार स्थिति अलग है। भाजपा और जेडीयू के बीच तालमेल बेहतर करने की कोशिश हो रही है ताकि चुनाव में कोई भ्रम न रहे। NDA के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि “नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा और मुख्यमंत्री पद पर उनका ही चेहरा आगे होगा।” इसका साफ मतलब है कि जेडीयू भाजपा से कम सीटें किसी भी हाल में स्वीकार नहीं करेगी। हालांकि छोटे सहयोगियों को जगह देने के लिए दोनों दल कुछ समायोजन कर सकते हैं। बिहार चुनाव 2025 में NDA की यह रणनीति सीधे तौर पर विपक्षी महागठबंधन को चुनौती देने के लिए बनाई जा रही है।

चिराग पासवान और LJP की बढ़ी मांगें

LJP (RV) इस बार 40 सीटें मांग रही है, जबकि भाजपा और जेडीयू की तरफ से संकेत है कि उसे आधी यानी करीब 20 सीटें मिल सकती हैं। NDA नेताओं का कहना है कि LJP की क्षमता के हिसाब से इतनी सीटें ही व्यावहारिक हैं। हालांकि चिराग पासवान लोकसभा चुनाव 2024 में अपने शानदार प्रदर्शन का हवाला देकर दबाव बना रहे हैं। उन्होंने पांचों सीटें जीतकर और करीब 6% वोट पाकर NDA में अपनी ताकत साबित की थी। “हमारे पास पांच सांसद हैं और हम 30 में से 29 विधानसभा क्षेत्रों में आगे रहे थे,” LJP (RV) नेताओं का तर्क है। यही कारण है कि चिराग पासवान की मांगें इस बार ज्यादा हैं। बिहार चुनाव 2025 में उनकी भूमिका निर्णायक हो सकती है, लेकिन BJP और जेडीयू उन्हें उनकी सीमा से ज्यादा सीटें देने के मूड में नहीं दिख रहे।

छोटे दलों को साधने की कोशिश में NDA

NDA के लिए चुनौती सिर्फ LJP (RV) तक सीमित नहीं है। जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM-S) और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) को भी सीटें देनी होंगी। अगर VIP (विकासशील इंसान पार्टी) जो अभी RJD गठबंधन में है, NDA का हिस्सा बनती है तो समीकरण और बदल जाएंगे। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि “चिराग पासवान जितनी सीटें मांग रहे हैं, वह उनकी क्षमता से ज्यादा है। हमें मांझी और कुशवाहा को भी बराबर सम्मान देना होगा।” यही वजह है कि NDA का सीट बंटवारा अभी पूरी तरह साफ नहीं हुआ है। बिहार चुनाव 2025 के मद्देनजर NDA की रणनीति यह है कि कोई भी सहयोगी नाराज न हो और विपक्ष को इसका फायदा न मिले।

बिहार चुनाव 2025 में समीकरण और भविष्य की राह

2020 के चुनाव में LJP ने 135 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन सिर्फ एक सीट मिली थी। हालांकि उसने जेडीयू को कई सीटों पर नुकसान पहुंचाया था। यही वजह है कि इस बार BJP और जेडीयू सावधानी बरत रहे हैं। LJP (RV) के नेता नीतीश सरकार की आलोचना करके दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं। उनका कहना है कि पार्टी का लक्ष्य लंबे समय में 15% वोट शेयर हासिल करना है। NDA की चुनौती यह है कि सहयोगियों को संतुलन में रखते हुए सीट बंटवारे को फाइनल किया जाए। बिहार चुनाव 2025 सिर्फ सीटों की लड़ाई नहीं है बल्कि राजनीतिक वर्चस्व की परीक्षा भी है। आने वाले हफ्तों में यह साफ हो जाएगा कि NDA का अंतिम फार्मूला क्या होगा और चिराग पासवान को कितनी सीटें मिलती हैं।

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