Monday, August 25, 2025

“जेडी वेंस का खुलासा: भारत पर सेकेंडरी टैरिफ लगाने के पीछे क्या है डोनाल्ड ट्रंप का सीक्रेट इकॉनॉमिक प्लान”

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Hemant Raushan
Hemant Raushan
Delhi-based content writer at The Rajdharma News, with 5+ years of UPSC CSE prep experience. I cover politics, society, and current affairs with a focus on depth, balance, and fact-based journalism.

New Delhi: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50 प्रतिशत सेकेंडरी टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया है। इस फैसले का कारण भारत द्वारा रूस से लगातार तेल खरीदना बताया गया। ट्रंप का यह कदम न केवल भारत-अमेरिका व्यापारिक रिश्तों पर असर डालेगा, बल्कि वैश्विक राजनीति में भी बड़ा संदेश देगा। इस बीच अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने साफ किया कि टैरिफ का मकसद रूस पर आर्थिक दबाव बनाना है। उन्होंने कहा कि रूस को तभी वैश्विक अर्थव्यवस्था में वापसी का रास्ता मिलेगा जब वह युद्ध रोकेगा। यही कारण है कि भारत पर सेकेंडरी टैरिफ को डोनाल्ड ट्रंप का सीक्रेट इकॉनॉमिक प्लान माना जा रहा है।

जेडी वेंस ने बताया ट्रंप का आर्थिक प्लान

एनबीसी न्यूज को दिए इंटरव्यू में जेडी वेंस ने खुलासा किया कि राष्ट्रपति ट्रंप रूस पर कड़ा दबाव बनाना चाहते हैं। उन्होंने कहा, “रूस की तेल अर्थव्यवस्था से होने वाली कमाई कम करना ही मुख्य उद्देश्य है।” वेंस के अनुसार, भारत पर लगाए गए सेकेंडरी टैरिफ इसी रणनीति का हिस्सा हैं। उनका कहना है कि अगर रूस की कमाई कम होगी तो यूक्रेन युद्ध रोकने में मदद मिल सकती है। उन्होंने यह भी बताया कि हाल ही में ट्रंप और पुतिन की मुलाकात के बाद कुछ प्रगति तो हुई, लेकिन मतभेद भी सामने आए। इसके बावजूद अमेरिका मध्यस्थता के लिए तैयार है।

रूस-यूक्रेन युद्ध में नई कूटनीति

जेडी वेंस ने जोर देकर कहा कि रूस पर दबाव बनाना ही युद्ध रोकने का सबसे प्रभावी तरीका है। उन्होंने स्पष्ट किया कि राष्ट्रपति ट्रंप भारत समेत अन्य देशों के जरिए रूस की कमाई घटाना चाहते हैं। वेंस ने कहा, “हम अतिरिक्त टैरिफ लगाकर रूस की तेल से होने वाली आय को सीमित करना चाहते हैं।” उनका तर्क है कि अगर रूस युद्ध रोकता है, तो उसे फिर से वैश्विक अर्थव्यवस्था में शामिल किया जा सकता है। लेकिन हमले जारी रहने पर उसे और कड़े प्रतिबंधों का सामना करना होगा। यह रणनीति बताती है कि सेकेंडरी टैरिफ केवल भारत तक सीमित नहीं है बल्कि एक बड़े आर्थिक प्लान का हिस्सा है।

ट्रंप के इस कदम ने अमेरिका के भीतर भी बहस छेड़ दी है। आलोचकों का कहना है कि भारत पर टैरिफ लगाना दोहरे रवैये को दिखाता है क्योंकि चीन भी रूस से बड़े पैमाने पर तेल खरीदता है। फिर भी चीन को इस तरह की सजा नहीं दी गई। भारत ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि उसकी ऊर्जा खरीद राष्ट्रीय हित और बाजार की स्थिति के अनुसार होगी। हालांकि, भारत और अमेरिका के रिश्तों पर इसका असर होना तय है।

रिपब्लिकन नेताओं की मिली-जुली प्रतिक्रिया

डोनाल्ड ट्रंप के इस आर्थिक कदम पर अमेरिकी राजनीति में भी विभाजन साफ दिख रहा है। रिपब्लिकन नेता निक्की हेली ने कहा कि भारत को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि नई दिल्ली को व्हाइट हाउस के साथ मिलकर जल्द समाधान निकालना चाहिए। हेली ने सोशल मीडिया पर लिखा, “व्यापारिक मतभेदों और रूसी तेल आयात जैसे मुद्दों से निपटने के लिए गंभीर बातचीत की जरूरत है।” हालांकि, हेली की इस टिप्पणी पर उनकी ही पार्टी में आलोचना हो रही है। कई रिपब्लिकन मानते हैं कि भारत को दबाव में लाना अमेरिका के दीर्घकालिक हितों के खिलाफ है।

भारत-अमेरिका रिश्तों पर असर

भारत पर लगाए गए सेकेंडरी टैरिफ से आने वाले समय में व्यापारिक रिश्तों में तनाव बढ़ सकता है। हालांकि, यह भी सच है कि भारत और अमेरिका दोनों एक-दूसरे के लिए रणनीतिक साझेदार हैं। रक्षा, तकनीक और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सहयोग दोनों देशों के लिए अहम है। ऐसे में ट्रंप का यह फैसला केवल व्यापारिक नहीं बल्कि राजनीतिक संदेश भी है। जेडी वेंस का बयान इस बात की ओर इशारा करता है कि ट्रंप का सीक्रेट इकॉनॉमिक प्लान रूस को कमजोर करने और अमेरिका की वैश्विक पकड़ मजबूत करने पर केंद्रित है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत इस चुनौती का सामना कैसे करता है और क्या अमेरिका इस फैसले पर दोबारा विचार करेगा।

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