Tuesday, August 26, 2025

पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज बी. सुदर्शन रेड्डी होंगे विपक्ष के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार: खरगे का ऐलान

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Hemant Raushan
Hemant Raushan
Delhi-based content writer at The Rajdharma News, with 5+ years of UPSC CSE prep experience. I cover politics, society, and current affairs with a focus on depth, balance, and fact-based journalism.

New Delhi: विपक्षी गठबंधन INDIA ब्लॉक ने उपराष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। इस बार सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी. सुदर्शन रेड्डी को विपक्षी दलों ने चुना है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मंगलवार को इस ऐलान की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सुदर्शन रेड्डी का नाम सभी विपक्षी दलों की सहमति से तय किया गया है। खड़गे के अनुसार, यह चुनाव केवल पद के लिए नहीं, बल्कि वैचारिक लड़ाई और लोकतंत्र के मूल्यों की रक्षा के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है।

कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने बताया कि सुदर्शन रेड्डी गरीबों और हाशिए पर रहे लोगों के अधिकारों के लगातार पक्षधर रहे हैं। उन्होंने कहा, “सुदर्शन रेड्डी का लंबा और साहसी न्यायिक करियर उन्हें भारत के सबसे प्रतिष्ठित न्यायाधीशों में से एक बनाता है।” विपक्ष का उद्देश्य एक ऐसा उम्मीदवार खड़ा करना है जो संसदीय कार्यवाही में संतुलन बनाए रख सके और लोकतंत्र के मूल्यों को संरक्षित कर सके।

बी. सुदर्शन रेड्डी का जीवन परिचय और शिक्षा

बी. सुदर्शन रेड्डी का जन्म 8 जुलाई 1946 को आंध्र प्रदेश के अकुला मायलाराम गाँव में हुआ था। साधारण पृष्ठभूमि से आने वाले रेड्डी ने हैदराबाद में अपनी पढ़ाई पूरी की और वर्ष 1971 में उस्मानिया विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री हासिल की। उसी साल उन्हें एडवोकेट के रूप में नामांकित किया गया। पढ़ाई और शुरुआती करियर के दौरान ही उन्होंने न्याय और सामाजिक समानता को अपना मूल मंत्र बनाया। उनका जीवन सफर दिखाता है कि कैसे मेहनत और ईमानदारी से कोई भी व्यक्ति समाज के उच्चतम पदों तक पहुँच सकता है।

कानूनी करियर और न्यायपालिका में योगदान

सुदर्शन रेड्डी ने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में वकालत शुरू की, जहाँ वे रिट और सिविल मामलों में विशेषज्ञता रखते थे। 1988 से 1990 तक उन्होंने हाईकोर्ट में सरकारी वकील के तौर पर काम किया और इसके अलावा उस्मानिया विश्वविद्यालय के लिए कानूनी सलाहकार और स्थायी वकील की जिम्मेदारी भी निभाई। उनकी पहचान एक ऐसे वकील के रूप में बनी जो हमेशा गरीबों और वंचितों की आवाज़ को न्यायालय तक पहुँचाते थे। यही कारण है कि उनके फैसलों और तर्कों में संविधान और नागरिक अधिकारों की गहरी झलक दिखाई देती थी।

हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक का सफर

बी. सुदर्शन रेड्डी का न्यायिक करियर 2 मई 1995 को नई ऊँचाई पर पहुँचा, जब उन्हें आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट का जज नियुक्त किया गया। इसके बाद वर्ष 2005 में उन्हें गुवाहाटी हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया। इस दौरान उन्होंने कई ऐसे फैसले सुनाए जिन्हें न्यायिक इतिहास में मील का पत्थर माना जाता है। दो साल बाद, 12 जनवरी 2007 को वे सुप्रीम कोर्ट के जज बने और 2011 में सेवानिवृत्त हुए। सुप्रीम कोर्ट में रहते हुए उन्होंने हमेशा निष्पक्षता और न्याय की गरिमा को सर्वोच्च रखा।

उपराष्ट्रपति चुनाव में होगा सीधा मुकाबला

इस बार का उपराष्ट्रपति चुनाव खासा दिलचस्प होने वाला है। विपक्ष के उम्मीदवार सुदर्शन रेड्डी का मुकाबला एनडीए के प्रत्याशी सीपी राधाकृष्णन से होगा। राधाकृष्णन वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं और उनका लंबा राजनीतिक अनुभव है। मतदान 9 सितंबर को होगा, जबकि नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख 21 अगस्त तय की गई है। चुनाव आयोग के अनुसार उम्मीदवार 25 अगस्त तक नाम वापस ले सकते हैं। संसद के मानसून सत्र की शुरुआत से ठीक पहले यह चुनाव और भी अधिक राजनीतिक महत्व रखता है।

विपक्ष की रणनीति और भविष्य की उम्मीदें

कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने कहा कि सभी विपक्षी दलों ने इस बार एकजुट होकर संयुक्त उम्मीदवार उतारने का निर्णय लिया है। उनका मानना है कि सुदर्शन रेड्डी न केवल कानूनी अनुभव रखते हैं बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों और संविधान की रक्षा के लिए भी सही उम्मीदवार हैं। विपक्ष का मकसद उपराष्ट्रपति पद पर एक ऐसे व्यक्ति को लाना है जो संसदीय कार्यवाही में संतुलन बनाए और जनता के अधिकारों की आवाज़ को मजबूत करे। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मुकाबला विपक्ष और एनडीए के बीच राजनीतिक रणनीति की भी परीक्षा होगी। आने वाले दिनों में दोनों खेमों की गतिविधियाँ तय करेंगी कि देश का अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा।

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