भारतीय रिजर्व बैंक (RBI): अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी है। उन्होंने यह भी कहा है कि यदि भारत रूस के साथ व्यापार करता है, तो उस पर अलग से आर्थिक दंड भी लगाया जाएगा। यह फैसला ऐसे समय आया है जब भारत की अर्थव्यवस्था स्थिरता की ओर बढ़ रही है। ट्रंप की यह टैरिफ नीति भारत के निर्यात पर बड़ा असर डाल सकती है और घरेलू उद्योगों को झटका दे सकती है। इससे वैश्विक बाजार में भारत की स्थिति प्रभावित हो सकती है। RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा का कहना है कि वैश्विक व्यापार तनाव, बढ़ती वित्तीय अनिश्चितता और डॉलर की चाल भारत की ग्रोथ पर असर डाल सकती है। ऐसे में नीति को स्थिर रखना वक्त की ज़रूरत बन गई थी।

आरबीआई का रेपो रेट फैसला: 5.5% पर स्थिर
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने रेपो रेट को 5.5 प्रतिशत पर स्थिर रखने का निर्णय लिया है। रेपो रेट वह ब्याज दर होती है जिस पर वाणिज्यिक बैंक RBI से कर्ज लेते हैं। इस स्थिरता का सीधा असर आम जनता पर होता है — होम लोन, ऑटो लोन जैसी सुविधाओं की ब्याज दरों में तत्काल बदलाव की संभावना कम हो जाती है। आरबीआई का मानना है कि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में खपत में सुधार देखा गया है। इससे अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है। साथ ही, निर्माण और व्यापार के क्षेत्र में तेजी से सेवा क्षेत्र की रफ्तार भी बनी रहेगी। निवेश और सरकारी खर्च में निरंतरता से मांग और उत्पादन में वृद्धि की संभावना है।

मुद्रास्फीति नियंत्रण में, पर जोखिम बरकरार
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि वर्तमान में मुद्रास्फीति नियंत्रण में है, लेकिन खाद्य वस्तुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव से स्थिति चुनौतीपूर्ण बनी हुई है। चालू वित्त वर्ष के लिए खुदरा मुद्रास्फीति का अनुमान घटाकर 3.1 प्रतिशत कर दिया गया है, जो पहले 3.7 प्रतिशत था। हालांकि, मानसून की स्थिति और वैश्विक व्यापार पर अनिश्चितता अब भी अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकती है। ट्रंप का टैरिफ निर्णय भारत के लिए दबाव पैदा कर सकता है। रूस के साथ व्यापार करने की स्थिति में आर्थिक दंड की बात भारत की रणनीतिक स्थिति को और जटिल बना सकती है। इससे निर्यात, मुद्रा विनिमय दर और विदेशी निवेश प्रभावित हो सकते हैं। भारत को इस परिस्थिति में संतुलन बनाकर चलने की आवश्यकता है।

बैंकों को RBI की सलाह: पारदर्शिता और सुलभ क्रेडिट
RBI ने बैंकों से आग्रह किया है कि वे ब्याज दरों के निर्धारण में पारदर्शिता बरतें। साथ ही, आम लोगों और व्यवसायों को सुलभ और सहज क्रेडिट की सुविधा दें। यह अपील ऐसे समय में की गई है जब देश में MSME और स्टार्टअप सेक्टर को तेज विकास के लिए फाइनेंसिंग की जरूरत है। हाल ही में RBI ने फरवरी से जून 2025 के बीच 100 बेसिस प्वाइंट की कटौती की थी। जून में ही 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर रेपो रेट को 6.5% से घटाकर 5.5% किया गया।

संतुलन और सतर्कता की नीति जारी
आरबीआई ने साफ किया कि उसका मौद्रिक रुख तटस्थ रहेगा। यानी आवश्यकता पड़ने पर वह नीतिगत दरों में बदलाव कर सकता है। गवर्नर ने बैंकों से पारदर्शिता और जनता तक आसान क्रेडिट पहुंचाने की अपील की है। ट्रंप की नीतियों और वैश्विक अस्थिरता के बीच, भारत की आंतरिक मांग और मौद्रिक रणनीति ही हमें स्थिरता की ओर ले जा सकती है। संयम और संतुलन बनाए रखना इस समय की सबसे बड़ी जरूरत है। ट्रंप के टैरिफ फैसले और RBI की मौद्रिक नीति दोनों ही भारत की अर्थव्यवस्था के लिए अहम मोड़ हैं। जहां एक ओर वैश्विक अस्थिरता का खतरा मंडरा रहा है, वहीं दूसरी ओर मजबूत घरेलू मांग, निवेश और नीति-निर्माताओं की सतर्कता से देश आगे बढ़ सकता है।
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