Bihar Politics:बिहार की सियासत इन दिनों उफान पर है। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को उनके गढ़ में घेरना शुरू कर दिया है। अपने बयानों और रैलियों से चिराग ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वे चुप बैठने वाले नहीं हैं। खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘हनुमान’ बताने वाले चिराग न सिर्फ सड़कों पर उतर आए हैं, बल्कि जनसभाओं, मीडिया बयानों और सोशल मीडिया के जरिए वे सीधा सियासी संदेश दे रहे हैं। अब एक नई रणनीति के साथ मैदान में हैं।

बिहार में अपराध पर चिराग का हमला
हाल ही में चिराग पासवान ने राज्य में बढ़ते अपराध को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि बिहार में अपराधियों का मनोबल लगातार बढ़ता जा रहा है, और सरकार केवल आंकड़ों की बाजीगरी में व्यस्त है। चिराग ने यह भी दावा किया कि आम आदमी खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा है। उन्होंने जनता से अपील की कि वे इस कुशासन के खिलाफ खड़े हों।

चिराग की रैलियों ने मचाई हलचल
चिराग पासवान बीते कुछ हफ्तों से लगातार जनसभाएं कर रहे हैं। इन रैलियों में वे नीतीश सरकार को हर मोर्चे पर घेरते नजर आ रहे हैं—चाहे वह कानून व्यवस्था हो या बेरोजगारी। उन्होंने बार-बार यह दोहराया है कि बिहार को अब एक नया नेतृत्व चाहिए और वह खुद इस बदलाव का चेहरा बनना चाहते हैं।

NDA में चिराग की स्थिति मजबूत?
भाजपा और चिराग पासवान के रिश्ते हमेशा से चर्चा का विषय रहे हैं। लेकिन हाल के दिनों में जिस तरह भाजपा के कुछ नेताओं ने चिराग की तारीफ की है, उससे यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या NDA में चिराग को कोई बड़ी भूमिका दी जा सकती है? 2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग की रणनीति ने जेडीयू को भारी नुकसान पहुंचाया था, और यह बात भाजपा भुला नहीं सकती।

नीतीश की चुप्पी – रणनीति या दबाव?
नीतीश कुमार ने अब तक चिराग के हमलों पर कोई सीधी प्रतिक्रिया नहीं दी है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह चुप्पी किसी रणनीति का हिस्सा हो सकती है। हालांकि, यह भी सच है कि चिराग के लगातार प्रहार से मुख्यमंत्री पर दबाव जरूर बन रहा है। बिहार की राजनीति में नीतीश को चुप रहकर जवाब देने की आदत रही है, लेकिन इस बार परिस्थिति कुछ अलग लग रही है।

युवाओं को साधने की कोशिश में चिराग
चिराग पासवान डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर भी बेहद सक्रिय हैं। वे युवाओं को ध्यान में रखते हुए अपने कैंपेन को डिजिटली धार दे रहे हैं। उनका हर पोस्ट, हर वीडियो एक साफ संदेश देता है—बदलाव की जरूरत है। चिराग युवाओं को भ्रष्टाचार, अपराध और बेरोजगारी के खिलाफ लामबंद करना चाहते हैं और इस वर्ग को अपने साथ जोड़कर वे नीतीश की राजनीति को चुनौती दे रहे हैं।

बिहार चुनाव से पहले चिराग पासवान का ‘खेला’ अब स्पष्ट होता जा रहा है। बढ़ते अपराध, युवाओं की नाराजगी और भाजपा से मिल रहे समर्थन के संकेतों ने उनके कद को और मजबूत किया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए यह स्थिति न सिर्फ असहज है, बल्कि चिंताजनक भी। क्या चिराग अपने इरादों में सफल होंगे या यह सियासी शोर वक्त के साथ शांत हो जाएगा—यह देखना दिलचस्प होगा। लेकिन फिलहाल इतना तो तय है कि बिहार की राजनीति में नया मोड़ आ चुका है।
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