Lalu Prasad Yadav:सुप्रीम कोर्ट ने लालू प्रसाद यादव को शुक्रवार को लैंड फॉर जॉब घोटाले मामले में राहत नहीं दी है. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद के प्रमुख लालू प्रसाद यादव के खिलाफ लैंड फॉर जॉब घोटाले में निचली अदालत में चल रही सुनवाई पर रोक लगाने से इंकार कर दिया. इस मामले में जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की बेंच ने लालू प्रसाद यादव की याचिका पर सुनवाई की है और याचिका में लालू प्रसाद यादव ने दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा मुकदमे पर रोक लगाने से इंकार करने के फैसले को चुनौती दी थी.

लालू प्रसाद यादव की बढ़ी मुश्किलें
लालू प्रसाद यादव की याचिका दिल्ली हाईकोर्ट ने मई में खारिज कर दी थी जिसमें उन्होंने लैंड फॉर जॉब घोटाला मामले में निचली अदालत की कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की थी. सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है, जिसमें आरोप है कि लालू प्रसाद यादव ने रेल मंत्री रहते हुए अपने परिवार के सदस्यों और सहयोगियों को जमीन के बदले नौकरी दी है. अब सुप्रीम कोर्ट ने भी लालू प्रसाद यादव की याचिका पर सुनवाई करते हुए निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगाने से इंकार किया है.

हाई कोर्ट ने कही ये बात
सुप्रीम कोर्ट ने लालू प्रसाद यादव की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा है -” हम इस मामले में रोक नहीं लगाएंगे. हम अपील को खारिज कर देंगे….. पहले मुख्य मामले में फैसला होने दीजिए.” जस्टिस सुंदरेश ने कहा कि पहले मुख्य मामले में फैसला होने देना चाहिए और इसके बाद ही इस याचिका पर विचार किया जा सकता है. हालांकि लालू प्रसाद यादव को मुकदमे की सुनवाई के दौरान व्यक्तिगत रूप से पेश होने की कोई आवश्यकता नहीं है. बेंच ने हाई कोर्ट से कहा कि वह इस मामले में लालू प्रसाद यादव की याचिका पर जल्दी से जल्दी सुनवाई करे.

लैंड फॉर जॉब मामला क्या है?
लालू प्रसाद यादव के तरह से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल और सीबीआई की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू पेश हुए और लैंड फॉर जॉब घोटाले का मामला तब का है जब लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे और उनपर यह आरोप लगाया गया है कि उस समय कई उम्मीदवारों को जमीन के बदले नौकरियां दी गई थी.
सीबीआई ने आरोप लगाया है कि साल 2004- 2009 के दौरान रेलवे ग्रुप डी की नौकरी के बदले लालू प्रसाद यादव ने अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर जमीनों की संपत्ति के ट्रांसफर के रूप में आर्थिक लाभ हासिल किया था और सीबीआई ने आरोप लगाया है कि जमीनों का ट्रांसफर लालू प्रसाद यादव की पत्नी और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और उनकी दो बेटियों मीसा भारती और हेमा यादव के नाम पर हुआ था. एजेंसी ने इस मामले में 30 सरकारी अधिकारियों समेत 78 लोगों को नामजद किया है और सीबीआई ने मई 2022 में लालू, उनके बेटों, बेटियों और राबड़ी देवी के खिलाफ मामला दर्ज किया है और पिछले साल सितंबर में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने लालू प्रसाद यादव के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी.
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