लोकसभा के बाद उत्तर प्रदेश में 10 विधानसभा साटों पर उपचुनाव होने है. जहां एकर तरफ इस बार के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को बड़ी जीत हासिल हुई थी तो वहीं अब सपा के मुखिया अखिलेश यादव अब इस उपचुनाव में PDA यानि की (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) के फॉर्मुले के साथ आगे बढ़ेंगे… समाजवादी पार्टी को अब तक MY यानि की (मुस्लिम+यादव) समीकरण वाली पार्टी माना जाता था लेकिन, इस बार सपा अध्यक्ष ने पीडीए का नारा दिया है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के लिए लोकसभा चुनाव में सबसे बड़ी बात तो ये रही कि जो दलित वोटर्स अक्सर सपा से दूर भागते थे वो भी इस बार सपा के साथ जुड़े और उन्हें वोट दिया. तो ऐसे में अखिलेश अब दलित वोटरों को अपनी पार्टी के साथ जोड़ने रखने के लिए हर तरह का पैतरा आज़मा रहें है.
दूसरी तरफ बात करें सूबे की सत्ता पर काबिज़ बीजेपी की तो इस बार बीजेपी पूरी तरह से अलर्ट है. क्योंकि लोकसभा चुनाव में चुनाव में समाजवादी पार्टी बीजेपी के लिए बड़ा खतरा बनकर उभरी है. ऐसे में बीजेपी अब पूरी तरह से इस चुनाव को जीतने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. क्योंकि जिस तरह से लोकसभा चुनाव में बीजेपी को खाते में कम सीटें आई है इसकी वजह से सीएम योगी पर उंगलियां उठने लगीं है. बता दें कि योगी सरकारके कामकाज को लेकर सवाल खड़े किए गए और यह तक कहा गया कि सीएम योगी की ब्रांड वैल्यु कम हुई है. तो ऐसे में इस उपचुनाव में सपा बीजेपी के लिए एक बड़ा चैलेंज बन गया है.
तो वहीं उपचुनाव को लेकर पक्ष और विपक्ष तरह तरह के कयास लगा रहें है. अखिलेश यादव का कहना है कि जिस तरह से लोकसभा चुनाव में जनता ने उनका समर्थन किया है तो वही इस उपचुनाव में भी हमारी पार्टी बीजेपी से आगे होगी…हालांकि अभी तक बीजेपी की तरफ से उपचुनाव को लेकर कोई बयान सामने नहीं आया है…
इन सब के बीच अब बात करें कांग्रेस की तो यूपी की 10 सीटों पर उपचुनाव कांग्रेस के लिए भी काफी ज्यादा अहम मानी जा रही है. हालाकि कांग्रेस की तरफ से इस उपचुनाव में किसी सीट पर उम्मीदवार उतारने की संभावना कम है लेकिन पार्टी की पूरी कोशिश रहेगी की उपचुनाव के बहाने ही सही लेकिन ‘यूपी के दो लड़कों की जोड़ी’ और मजबूत हो. इंडिया गठबंधन का वोट बैंक और बढ़े.
बता दें कि यूपी में जिन सीटों पर उपचुनाव होने है उनमें मिल्कीपुर, कटेहरी, कुंदरकी, गाजियाबाद, खैर मीरापुर, फूलपुर, मझवा और सीसामऊ सीट शामिल है.