Wrestler’s Protest में तीन बड़े चेहरे शामिल रहे। विनेश फोगाट, बजरंग पुनिया और साक्षी मलिक। इस वर्ष सितम्बर 2024 में विनेश फोगट और बजरंग पुनिया राजनीती से जुड़ गए और Indian National Congress के साथ उन्होंने अपने राजनैतिक सफर की शुरुवात की। जहाँ एक तरफ तीनो साथियों ने एक साथ wrestler’s प्रोटेस्ट को शुरू किया था तो वही अब इस सफर में साक्षी मलिक अकेली रह गयी। उन्होंने कहा की मैं महिला पहलवानों के लिए लड़ती आयी हूँ और उनके लिए ही लड़ती रहूंगी।
बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ साक्षी मलिक अभी भी केस लड़ने को तैयार हैं और उनका कहना है की मैं पहलवानो के लिए आवाज़ उठाती रहूंगी।उन्होंने अपनी आत्मकथा में खुलासा किया कि भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व प्रमुख और पूर्व भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने उनके साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश की थी।उन्होंने किताब में लिखा है कि यह घटना कजाकिस्तान के अल्माटी में 2012 एशियाई जूनियर चैंपियनशिप के दौरान हुई थी, जहां 19 साल की मलिक ने 63 किलोग्राम वर्ग में अपना पहला स्वर्ण पदक जीता था।
जीत के बाद, अपने माता-पिता से फोन पर बात करने के लिए बृज भूषण शरण सिंह के कमरे में ले जाया गया।बृज भूषण शरण सिंह ने उन्हें माता-पिता से बात करवाई। आगे लिखा कि मेरे कॉल खत्म करने के ठीक बाद, जब मैं उसके बिस्तर पर बैठी थी तो उसने मेरे साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश की। मैंने उसे धक्का दिया और रोने लगी। शायद जब उन्हें एहसास हुआ कि वह हार नहीं मानेंगी। उन्होंने कहना शुरू कर दिया कि उन्होंने मुझे ‘पापा जैसा’ अपनी बांहों में भर लिया है। लेकिन मैं जानती थी कि यह वैसा नहीं था।
साक्षी मलिक को हमेशा विनेश के साथ देखा गया फिर चाहे उनका ओलंपिक्स जीतना हो या प्रोटेस्ट हो। उनके मुश्किल समय में साक्षी मलिक उनके साथ रही। लेकिन हाल ही में साक्षी की ऑटोबायोग्राफी पब्लिश ‘Witness’ हुई जिसमे उन्होंने अपने जीवन, संघर्ष, खेल, उनका सफर सबका ज़िक्र किया। अब जब बात उनके जीवन की हो रही है तो ज़ाहिर सी बात है की उसमे विनेश और बजरंग का ज़िक्र होना तो तय था। उन्होंने बजरंग और विनेश पर कुछ दावे किये जिसमे उन्होंने लिखा की बजरंग और विनेश के फैसले से ऐसा लगता है की उनका प्रोटेस्ट करना उनका आंदोलन स्वार्थपूर्ण था। बात सिर्फ इतने पर ही ख़तम नहीं होती है इसके आगे साक्षी लिखती हैं की विनेश और बजरंग के करीबी लोगों ने उनके दिमाग में लालच पैदा कर दिया जिसके वजह से विरोध प्रदर्शन उनके आंदोलन में दरार आगयी।
बबिता फोगट के बारे में वो लिखती हैं की वो खुद को पहलवानो का शुभचिंतक बताती हैं लेकिन इसमें उनका भी लोभ था उनका स्वार्थ था। उनकी किताब पब्लिश होने के बाद अब अनुमान ये भी लगाए जा रहे हैं की साक्षी मालिक भी अपना राजनीतिक सफर शुरू कर सकती हैं। हालाँकि साक्षी ने अभी तक इसके बारे में कोई ज़िक्र नहीं किया है।